मैं जानता हूँ अपने लोगों के लिए कैसे लडऩा है, आपकी सलाह की ज़रूरत नहीं सुखबीर: मुख्यमंत्री

चंडीगढ़/नई दिल्ली(द स्टैलर न्यूज़)। किसानों को इंसाफ दिलाने के लिए सुखबीर सिंह बादल की तरफ से मरण व्रत पर बैठने के सुझाव को दरकिनार करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा है कि एक फ़ौजी होने के नाते उनको यह पता है कि अपने लोगों के लिए कैसे लडऩा है और उनको किसानों के हितों की रक्षा के लिए अकाली नेता की सलाह की ज़रूरत नहीं है।

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आज दिल्ली में विधायकों के धरने सम्बन्धी सुखबीर बादल की तरफ से दिए बयान का करारा जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मैं 1965 की जंग के दौरान अपने देश के लिए सरहद पर लड़ा और अपने इस्तीफ़ा देने के बाद जब जंग लगी तो मैं वापस फ़ौज में जाने लगा पलट कर कुछ भी संकोच नहीं किया। मैं अपने लोगों की सुरक्षा के लिए दुश्मनों की गोलियों का सामना किया। आपने पंजाब के लोगों और इस देश के लिए क्या किया है?’

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि केंद्र सरकार के पास किसानों के अंदेशे पहुँचाने के लिए हमारा साथ देने की बजाय सुखबीर बादल और उनकी पार्टी ने एक बार फिर पीठ दिखाते हुए अपने घरों में ही छिपे रहना ठीक समझा। उन्होंने अकाली दल प्रधान को यह सवाल किया कि उन्होंने एन.डी.ए. सरकार जिसका वह उस समय पर हिस्सा थे, पर काले खेती कानूनों सम्बन्धी दबाव डालने के लिए ख़ुद अनिश्चित समय की भूख हड़ताल पर क्यों नहीं गए।

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने टिप्पणी की, ‘और अब आप (सुखबीर) मुझे यह बता रहे हो कि मुझे क्या करना चाहिए और क्या नहीं।’ उन्होंने आगे कहा कि यदि कहीं कोई धोखा हुआ है तो वह बादलों के द्वारा किया गया है जिन्होंने 10 वर्षों तक कुछ नहीं किया बस सिफऱ् पंजाब और इसके लोगों को लूट कर अपनी जेबें भरी हैं। मुख्यमंत्री ने याद किया कि एस.वाई.एल. के मुद्दे पर उन्होंने बतौर संसद मैंबर ही इस्तीफ़ा नहीं दिया था बल्कि यह प्रण भी किया था कि वह पानी की एक भी बूँद पर अपना हक नहीं छोडेंगे चाहे उनको जान की बाज़ी क्यों न लगानी पड़े। उन्होंने आगे कहा कि यह कोई पहली बार नहीं है कि जब उन्होंने ऐसा स्टैंड लिया हो क्योंकि अस्सी के दशक में ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार के विरोध में उन्होंने बतौर संसद मैंबर और ऑपरेशन ब्लैक थंडर के बाद सुरजीत सिंह बरनाला सरकार से बतौर मंत्री इस्तीफ़ा दिया था।

कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आगे बताया कि इन केंद्रीय खेती कानूनों, जो कि एक कड़वी सच्चाई कभी न बनते यदि बादलों ने इस मुद्दे पर एन.डी.ए. के अपने सहयोगियों के साथ ज़ोरदार विरोध जताया होता, बारे उन्होंने राज्य की विधानसभा में पहले ही यह बात साफ़ कर दी थी कि वह किसानों के हकों के लिए अपनी आखिरी साँस तक लड़ेंगे। मुख्यमंत्री ने सुखबीर को कहा कि मुझे याद नहीं कि आप या आपकी पार्टी के नेता किसानों या अन्य वर्गों के लिए कोई भी बलिदान देेने हेतु कभी भी तैयार रहे हो। उन्होंने आगे कहा कि अकाली बार-बार अपने निजी लाभ के लिए पंजाब वासियों के हितों को गिरवी रख देने के जि़ मेदार हैं। उन्होंने अकाली दल प्रधान को कोई एक भी ऐसी मिसाल का हवाला देने की चुनौती देते हुए कहा कि जब उनके कुनबे में से किसी ने भी राज्य का थोड़ा सा भी भला किया हो।

किसानों की तरफ से अपने जीवन और रोज़ी रोटी की लड़ाई का मज़ाक उड़ाने के लिए सुखबीर बादल को आड़े हाथों लेते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि खेती कानूनों के मुद्दे पर पंजाब के लोगों की चिंताओं के प्रति उदासीन रहते हुए बादलों ने एक नये घाटिया स्तर को छू लिया है क्योंकि इस मुद्दे स बन्धी उनकी हरकतें यही ज़ाहिर करती हैं। सुखबीर की तरफ से की गई टिप्पणी कि राज्यपाल ने राज्य के संशोधन बिलों पर हस्ताक्षर नहीं किया तो राष्ट्रपति को मिलने की क्या ज़रूरत थी, संबंधी तीखा जवाब देते हुए मु यमंत्री ने कहा कि यहाँ ज़्यादा महत्वपूर्ण सवाल यह था कि केंद्र सरकार की तरफ से संसद में बिल पेश किये जाने के बाद हरसिमरत बादल को केंद्रीय मंत्रीमंडल से इस्तीफ़ा देने की क्या ज़रूरत थी और इन बिलों के कानून बन जाने के बाद एन.डी.ए. से नाता तोडऩे की अकाली दल को क्या ज़रूरत थी। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आगे बताया कि यदि किसी भी तरह के दोस्ताना मैच का कोई आधार पैदा होता है तो वह अकालियों के इन्ही कामों से पैदा होता है जिन्होंने यह साफ़ ज़ाहिर कर दिया है कि यह सारा नाटक अकालियों की तरफ से भाजपा के साथ मिलकर किसानों को गुमराह करने के लिए रचा गया था।

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