होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़)। जिले के ब्लाक भंूगा के गांव केसोपुर टुंड का प्रगतिशील किसान कमलपाल सिंह पिछले 4 वर्षों से अपने खेतों में पराली व फसल के अवशेषों को आग न लगाकर वातावरण व जमीन को तंदुरुस्त रखने में अहम भूमिका निभा रहा है। बारहवीं पास यह किसान करीब 50 एकड़ में खेती करता है, जिसमें से 25 एकड़ इनकी खुद की जमीन है व 25 एकड़ इन्होंने ठेके पर ले रखी है। किसान कमलपाल सिंह ने बताया कि 25 एकड़ जमीन में वह धान की बिजाई व बाकी जमीन पर गेहूं, कमाद, आलू, मक्की आदि की खेती करता है। उन्होंने बताया कि वह पिछले 4 वर्षों से धान की पराली व गन्ने की खोरी की संभाल खेत में बहाई कर ही करता है।
उन्होंने बताया कि शुरुआती समय में गेहूं की बिजाई संबंधी उसके मन में कई शंकाए थी परंतु कृषि विभाग के सहयोग व दिशा निर्देश के चलते जब उसने गेहूं की बिजाई की तो उसकी सभी शंकाए दूर हो गई। कृषि विभाग के कहे अनुसार वह धान की पराली वाले खेत में मल्चर चलाकर पराली के छोटे टूकड़े कर आर.एम.बी प्लोअ से जमीन की बहाई करता है, जिससे जमीन की सख्त तह टूट जाती है व अवशेष जमीन में बड़ी आसानी से मिल जाते हैं, जिससे जमीन के पानी सोखने की क्षमता भी बढ़ जाती है। ऐसा करने से बहुत कम समय में खेत आलू की बिजाई के लिए तैयार हो जाता है।
उन्होंने बताया कि पराली जमीन में मिलाने से जमीन मुलायम हो जाती है व जैविक मादे में भी वृद्धि होती है, जिससे नदीन नाशक का खर्चा भी बहुत कम होता है और नदीनों की समस्या नाममात्र ही देखने को मिलती है। कमलपाल सिंह ने कहा कि कोविड-19 महांमारी के दौर में जहां पराली न जलाकर खेतों में ही संभाल कर वातावरण प्रदूषण कम किया जा सकता है, वहीं इस महांमारी से बचाव के लिए योगदान भी डाला जा सकता है। उन्होंने किसानों को अपील करते हुए कहा कि पराली को जमीन में संभालने से जहां उनका फायदा होता है वहीं वातावरण भी साफ रहता है।