होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। होशियारपुर-चंडीगढ़ मार्ग पर स्थित निजी अस्पताल (आईवी अस्पताल) में आज उस समय हंगामा हो गया जब एक महिला की मौत के बाद उसके परिजनों ने अस्पताल स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए इंसाफ की मांग करते हुए रोष व्यक्त किया। पंजाब रोडवेज में कार्यरत महिला की मौत के बाद स्टाफ सदस्य भी अस्पताल पहुंच गए तथा उन्होंने अस्पताल प्रबंधकों की लापरवाही के खिलाफ जमकर रोष जताया। इस संबंधी जानकारी देते हुए मृतक महिला की बेटी सपना ने बताया कि वे जिला ऊना के गांव पिरथीपुर निवासी हैं तथा पिछले कल उनकी माता सुनीता रानी जोकि पंजाब रोडवेज होशियारपुर में कार्यरत हैं, की तबीयत खराब होने पर पहले उन्हें गगरेट अस्पताल ले जाया गया। जहां पर उनका कोरोना टैस्ट नैगेटिव आया था।
वहां से दवाई लेने उपरांत वे अपनी माता को आईवी अस्पताल ले आए थे ताकि अगर किसी अन्य बीमारी की आशंका हो तो उनका अच्छा इलाज हो सके। उन्होंने बताया कि आईवी अस्पताल लाने के बाद अस्पताल के डाक्टरों ने उनका इलाज शुरु किया और उन्हें बताए बिना ही उन्हें कोविड वार्ड में शिफ्ट कर दिया। इस पर जब उन्होंने कहा कि उनकी माता को कोरोना नहीं है तथा उन्हें कोविड वार्ड में क्यों शिफ्ट किया गया है तो अस्पताल प्रबंधन कोई ठोस जवाब नहीं दे पाया तथा काफी बार कहने पर अस्पताल वालों ने उन्हें मरीज के पास बैठने की इजाजत दी। उन्होंने बताया कि वे पीपीई किट डालकर अपनी मां के पास बैठीं थी और उनका मां न उनसे कहा कि उन्हें घर ले जाएं, क्योंकि यहां पर उनका दम घुट रहा है और अस्पताल वाले उनकी जान ले लेंगे। सपना ने बताया कि आज दोपहर जब वे अपनी माता के पास बैठी थीं तो उनकी मां ने कहा कि उन्हें भूख लगी है तथा वे उन्हें कुछ खाने को दे। अस्पताल वालों ने कहा कि मरीज को डेढ बजे लंच दिया जाएगा।
इस पर वे उनके लिए चाय देने चली गईं। लेकिन 2-4 मिनट में ही वे चाय लेकर लौटीं तो उन्होंने देखा कि उनकी मां को वैंटीलेटर पर डाल दिया गया था और उन्हें डाक्टरों ने बताया कि उनकी माता की मृत्यु हो गई है। उन्होंने कहा कि अस्पताल के स्टाफ और डाक्टरों की लापरवाही से उनकी माता की मृत्यु हुई है। सपना ने बताया कि 9 दिसंबर की उनकी छोटी बहन सीमा की शादी थी और उनकी माता उसे लेकर काफी चिंतित थी व अभी काफी शापिंग भी करने वाली थी। उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रबंधकों की लापरवाही से उनकी माता की जान गई है तथा प्रबंधक उनका शव भी नहीं दे रहे। उन्होंने कहा कि जब गगरेट में करवाए टैस्ट में उनकी माता की रिपोर्ट नैगेटिव आई थी तो फिर अस्पताल वालों को कोविड टैस्ट की जरुरत क्यं पड़ी। सपना ने कहा कि अस्पताल प्रबंधक बार-बार उनसे यही पूछ रहे थे कि उनकी माता सरकारी नौकरी करती हैं।
इस संबंध में इलाज कर रहे डाक्टर से बात करने पर उन्होंने कहा कि जब सुनीता रानी को यहां लाया गया तो उनकी हालत 30-40 प्रतिशत खराब थी और उन्होंने परिजनों को बता दिया था कि इनके बचने की उम्मीद कम है। उन्होंने कहा कि सुनीता रानी कोविड सस्पैक्टड थीं और इसी के चलते उनका टैस्ट किया गया था, जिसकी रिपोर्ट आज शाम तक आ जाएगी। उन्होंने कहा कि गगरेट में जो टैस्ट इन्होंने करवाया था वे रैपिडेंटिट टैस्ट था, जो इतना प्रभावशाली नहीं होता तथा इसी के चलते उनका आरटीपीसीआर करवाया गया था, जिसकी रिपोर्ट आनी है। उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रबंधकों द्वारा कोई लापरवाही नहीं हुई है, क्योंकि मरीज की हालत पहले से खराब होने के कारण ऐसे केसों में मरीज की मौत 1-2 मिनट में हो जाती है। शव नहीं दिए जाने संबंधी उन्होंने बताया कि कोविड सस्पैक्टेड केस होने के कारण रिपोर्ट आने तक शव को नहीं दिया जा सकता तथा इस संबंधी उन्होंने सिविल सर्जन ऊना को भी सूचना दे दी है। उन्होंने कहा कि शाम को रिपोर्ट आते ही शव परिजनों को सौंप दिया जाएगा।