किसान अंदोलन में आल इंडिया जाट महासभा तब तक डटी रहेगे जब तक सरकार तीनों कृषि कानून रद्द नहीं करती: युद्धवीर

गढ़शंकर (द स्टैलर न्यूज़)। केंद्र सरकार ने बार-बार पत्र लिखने की प्रक्रिया से साफ हो गया है कि सरकार इस किसान अंदोलन को लंबा कर किसानों का मनोबल तोडऩा चाहती है। यह सरकार का षडयंत्र है। यह शब्द आल इंडिया जाट महासभा के राष्ट्रीय महासचिव चौधरी युद्धवीर सिंह व राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरपाल सिंह हरपुरा ने कहे। उन्होंने कहा कि सरकार के षडयंत्र को किसान नाकाम कर ही दम लेगें। उन्होंने कहा कि सरकार इस किसान अंदोलन को हलके में ना लें। उन्होंने कहा कि किसान यहां लड़ रहा है तो किसान का बेटे देश की सीमाओं पर देश की सुरक्षा में डटे है। उन्होंने कहा कि किसान अंदोलन के लंबा खिंचने से उन सीमाओं पर डटे किसानों के बेटों के मनोबल पर भी इसका असर पड़ेगा। सरकार को पूरे मामले पर तुरंत संज्ञान लेते हुए तुरंत कृषि कानून रद्द कर देने चाहिए और बिजली 2020 संशोधन व पराली जलाने से संबंधित विधेयत वापिस लेने चाहिए।

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इसके इलावा एमएसपी फसलों को देने पर कानून बने और उसमें एमएसपी से कम खरीदने वाले कंपनी या व्यक्ति को सजा निर्धारित करे। उन्होंने कहा कि जानबूझ कर किसान पत्रवाजी कर रही है। जव हम कह रहे है कि हमें तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के इलावा कुछ भी मंजूर नहीं है तो पत्र क्यों लिखे जा रहे। उन्हेेंने कहा कि आल इंडिया जाट महासभा किसान अंदोलन में पूरी तरह शामिल है और हर तरह का सर्मथन कर रही है। जाट तो है ही किसान तो इसके चलते हमारे कार्याकर्ता अंदोलन में शामिल है और किसान युनियनों के निर्देश पर तव तक किसान अंदोलनो में डटे रहेगे जव तक तीनों कृषि कानून रद्द होने तक, एमएसपी पर कानून बनाने तक और दोनों विधेयत रद्द होने तक किसा जारी रहेगा। इस समय उनके साथ पंजाब के महासचिव अजायब सिंह बोपारय व उपाध्यक्ष बख्तावर सिंह भी मौजूद थे।

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