‘आप’ की तरफ से किसानों के हितों को बर्बाद करने की सोची-समझी कोशिश: वित्त मंत्री

चंडीगढ़,(द स्टैलर न्यूज़)। उच्च स्तरीय समिति की मीटिंग की कार्यवाही स्पष्ट करती है कि तीनों विवादपूर्ण खेती बिलों को कभी भी पंजाब सरकार या किसी भी मंत्री के साथ किसी भी मीटिंग में विचारा नहीं गया। केंद्र सरकार के साथ हुई मीटिंग की कार्यवाही पहले ही सार्वजनिक तौर पर जारी की जा चुकी है। जो भी कोई व्यक्ति इस कार्यवाही (मिनट्स) को पढ़ता है तो उसको पता चल जायेगा कि खेती बिलों को न तो उभारा गया और न ही विचारा गया और न ही वे (खेती बिल) मीटिंग के एजंडे में शामिल थे। यह खुलासा वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने आज यहाँ से जारी एक प्रैस बयान के द्वारा किया।वित्त मंत्री ने आगे बताया कि वह 18 सितम्बर, 2020 को मीटिंग की कार्यवाही सम्बन्धी आठ पन्नों की जानकारी पहले ही सार्वजनिक कर चुके हैं। इसके अलावा किसी भी प्रश्न को स्पष्ट करने के लिए उन्होंने 24 सितम्बर, 2020 को पूरे मुद्दे को विस्तार के साथ संबोधित किया था। इस प्रैस कॉन्फ्ऱेंस की वीडियो सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध है।मीटिंग सम्बन्धी कार्यवाही की जानकारी नीचे दिए गए लिंकों पर देखी या पढ़ी जा सकती हैदस्तावेज़ सम्बन्धी लिंक: 

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वीडियो सम्बन्धी लिंक: 

वित्त मंत्री ने कहा कि किसानों के हकों की हिमायत करने की जगह आम आदमी पार्टी भी भाजपा और अकाली दल की तरह मेहनतकश किसानों के संघर्ष को नुकसन पहुंचाने और बदनाम करने के लिए उसी रेखा पर चल पड़ी है।वित्त मंत्री ने आगे कहा कि यह स्पष्ट है कि एन.डी.ए. सरकार और ‘अप ’ एक साथ मिलकर लोगों को रास्ते से भटकाने के लिए भ्रामक बयानबाज़ी कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत हैरानी की बात है कि उच्च स्तरीय समिति की मीटिंग की कार्यवाही सम्बन्धी जानकारी सार्वजनिक होने के बावजूद भी पता नहीं क्यों इस मुद्दे को बार बार उछाल कर किसानों के संघर्ष के प्रति शंकाएं पैदा की जा रही हैं। ’’ मनप्रीत बादल ने कहा कि कितना अच्छा होता अगर ‘आप ’ और अकाली दल किसानों के संघर्ष को बदनाम और बर्बाद करने की कोशिशें करने की जगह किसानों के इस सच्चे संघर्ष की हिमायत करते। उन्होंने आगे कहा कि ‘आप ’ की प्रैस कॉन्फ्ऱेंस का समय बहुत शंकाएं पैदा करती है क्योंकि यह उस समय करवाई जा रही है जब प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अपनी ट्रैक्टर रैली का ऐलान किया हुआ है। उन्होंने कहा कि ‘आप ’ और अकाली दल इस बात से भडक़ रहे हैं कि वह किसानों के बीच फूट डालने में असफल रहे और ये दोनों पार्टियाँ एन.डी.ए. सरकार की प्रवक्ताओं की तरह काम कर रही हैं।उन्होंने कहा कि अब यह बहस ‘आप ’ और अकाली दल की कोशिशों से बहुत आगे गुजऱ गई है। इसका हल तभी संभव है यदि किसानों की सच्ची माँगों की तरफ ध्यान दिया जाये और वही रास्ता अपनाया जाये जो कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने अपनाया है।

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