पंजाब ने ठोस कचरा अलग करने और घर-घर एकत्रीकरण का लक्ष्य 100 प्रतिशत किया हासिल

चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। पंजाब ने नगर निगम के ठोस कचरे को अलग करने और इसकी घर-घर से एकत्रीकराण के लक्ष्य को लगभग 100 प्रतिशत हासिल कर लिया है। इसके अलावा जि़ला स्तर पर प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए 14 जि़ला पर्यावरण योजनाएं तैयार की गई हैं। यह खुलासा मुख्य सचिव विनी महाजन ने जस्टिस (सेवामुक्त) जसबीर सिंह की अध्यक्षता में सतलुज और ब्यास नदियों के लिए एन.जी.टी. की तरफ से नियुक्त निगरानी कमेटी के साथ विचार-विमर्श के बाद किया। उन्होंने कमेटी को भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार पर्यावरण के सुधार के लिए हर संभव प्रयास कर रही है और राज्य के नागरिकों को साफ़ और सुरक्षित पीने लायक पानी मुहैया करवाने के लिए वचनबद्ध है। श्रीमती महाजन ने यह भी भरोसा दिया कि सरकार कृषि प्रधान राज्य में बायोमैडीकल और प्लास्टिक अवशेष समेत ठोस अवशेष प्रबंधन के लिए यत्न और तेज़ करेगी।

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पूर्व मुख्य सचिव एस.सी. अग्रवाल, पर्यावरण प्रेमी बाबा बलबीर सिंह सीचेवाल (दोनों मैंबर) और तकनीकी माहिर डॉ. बाबू राम के पैनल ने मुख्य सचिव को ख़ास संदर्भ सहित राज्य के पर्यावरण के साथ जुड़े विभिन्न मुद्दों, नदियों में पानी की गुणवत्ता में सुधार लाने और शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अवशेष प्रबंधन बारे बताया। यह कमेटी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा विशेष तौर पर पर्यावरण के साथ सम्बन्धित विभिन्न मुद्दों को देखने के लिए साल 2019 में गठित की गई थी। पिछले 2 सालों में राज्य की सबसे अहम उपलब्धि ब्यास नदी के दो हिस्सों में पानी की गुणवत्ता में ज़रुरी स्तर (क्लास-बी) का सुधार लाना रहा है। इससे यह नदी ऐसे मापदण्डों वाली देश की एकमात्र नदी बन गई है। इसके अलावा 500 करोड़ रुपए के साथ लुधियाना में से गुजऱ रही सतलुज नदी की सहायक नदी, गंदा बूढ्ढा नाला के प्रदशण की समस्या को हल करने के लिए डेयरी अवशेष के लिए सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और ऐफलूएंट ट्रीटमेंट प्लांट लगाना है।

उम्मीद जताई जा रही है कि इन प्लांटों के शुरू होने से सतलुज नदी के पानी की गुणवत्ता में काफ़ी सुधार होगा। इसके अलावा सतलुज नदी में गिरने वाले औद्योगिक प्रदूषण को रोकने के लिए 105 एम.एल.डी क्षमता वाले कॉमन ऐफ़लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किये गए हैं। बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव जल स्रोत, प्रमुख सचिव स्थानीय निकाय, चेयरमैन पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड, डायरैक्टर ग्रामीण विकास एवं पंचायत और डायरैक्टर पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन भी शामिल थे।

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