केंद्र और हरियाणा में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकारों ने सत्ता में बने रहने का नैतिक हक गंवाया: मुख्यमंत्री

चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आज आंदोलनकारी किसानों की मौतों पर केंद्र और हरियाणा के कृषि मंत्री समेत भाजपा के वरिष्ठ नेताओं द्वारा हाल ही में की गई बयानबाज़ी पर दुख ज़ाहिर करते हुए कहा कि यह पार्टी केंद्र और राज्य की सत्ता में बने रहने का नैतिक हक गंवा चुकी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को देश के हित में सत्ता से एक तरफ़ हो जाना चाहिए और यही रास्ता एम.एल. खट्टर सरकार को इख्तियार कर लेना चाहिए। उन्होंने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र्र तोमर और हरियाणा के कृषि मंत्री जे.पी. दलाल द्वारा काले कृषि कानूनों के विरोध में पिछले दो महीने से अधिक समय से राष्ट्रीय राजधानी की सरहदों पर किए जा रहे संघर्ष के दौरान मृत हुए किसानों के बारे में हाल ही में की गई बयानबाज़ी की सख़्त निंदा की है।

Advertisements

तोमर द्वारा दिल्ली पुलिस के हवाले से सिफऱ् दो किसानों की मौत होने और एक के द्वारा खुदकुशी किए जाने के बारे में दिए गए बयान के लिए उन पर बरसते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अकेला पंजाब ही इस आंदोलन में जान गंवा चुके 102 किसानों के परिवारों को मुआवज़ा अदा कर चुका है। यहाँ तक कि मीडिया भी विभिन्न राज्यों से सम्बन्धित 200 किसानों, जो इस संघर्ष में मृत हुए हैं, संबंधी गहराई से जानकारी दे चुका है। उन्होंने किसानों के बारे में असंवेदनशील टिप्पणी करने पर हरियाणा के मंत्री दलाल को भी आड़े हाथों लिया, जिसने कहा था कि इस आंदोलन में मारे गए किसान यदि घर होते तो भी मर जाते। मुख्यमंत्री ने केंद्रीय कृषि मंत्री के उस बयान की भी निंदा की जिसमें केंद्र सरकार की मृतक किसानों के परिवारों को किसान कल्याण फंड में से वित्तीय सहायता देने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि यह बहुत शर्मनाक बात है कि जो सरकार नए कृषि कानूनों की प्रचार मुहिम पर 8 करोड़ रुपए ख़र्च कर सकती है, वह किसानों के परिवारों को मुआवज़ा नहीं दे सकती, जिन्होंने अपने हकों की लड़ाई लड़ते हुए अपनी जान कुर्बान कर दी। कैप्टन अमरिन्दर ने कहा कि तोमर और दलाल के यह बयान बी.जे.पी. लीडरशिप की किसानों के प्रति किसी तरह की चिंता न होने को दिखाते हैं, जिनको अपने हकों की लड़ाई के लिए दिल्ली और हरियाणा पुलिस की लाठियाँ और कई असामाजिक तत्वों का सामना करना पड़ रहा है। तोमर के इस दावे कि केंद्र के पास मृतक किसानों की कोई संख्या नहीं है, का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बहुत हैरानी वाली बात है कि जो सरकार किसानों के हितों के लिए काम करने का दावा कर रही है, वह यह भी नहीं जानती कि उनके कृषि कानूनों के विरोध में कितने किसानों की जान गई है। इसी तरह कुछ महीने पहले तालाबन्दी के दौरान देश में मरने वाले प्रवासियों की संख्या के बारे में भी केंद्र सरकार को कोई जानकारी नहीं थी।

मुख्यमंत्री ने कहा ‘‘यह कैसी सरकार है जिसको अपने देश में मर रहे लोगों के बारे में कोई जानकारी नहीं है।’’ मुख्यमंत्री ने कहा ‘‘कृषि मंत्री ने या तो जानबूझ कर सदन में झूठ बोला या वह तथ्यों और आंकड़ों का पता लगाने की परवाह नहीं करते।’’ उन्होंने आगे कहा कि यह पहली दफ़ा नहीं है जब किसी केंद्रीय मंत्री ने संसद में कृषि कानूनों या किसान आंदोलन के मुद्दे पर गलत बयान दिया हो। उन्होंने आगे कहा कि इससे पहले एक और मंत्री ने सदन में गलत बयान दिया था कि पंजाब को कृषि सुधार समिति के मैंबर के तौर पर इसकी क्षमता के अनुसार भरोसे में लिया गया था, जोकि कोरा झूठ था। उन्होंने कहा कि इस समिति की मीटिंगों में एक बार भी इन कानूनों का जि़क्र नहीं किया गया और पंजाब को इस समिति में शामिल करने से पहले इसकी एक मीटिंग हो चुकी थी। केंद्र सरकार पर किसानों के प्रति उदासीन रहने का दोष लगाते हुए जो केंद्र द्वारा उनकी जायज़ माँग को मानने और मृतक किसानों के परिवारों को मुआवज़ा देने के लिए इनकार किए जाने से साबित हो गया है, मुख्यमंत्री ने कहा यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्र सरकार के तोमर जैसे वरिष्ठ मंत्री कृषि कानूनों और किसान आंदोलन पर गलत जानकारी फैलाने की भाजपा की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए मान-मर्यादा वाले पवित्र संसदीय गरिमा का प्रयोग कर रहे थे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अपने झूठों और मनघड़ंत बातों से किसानों को मनाने में असफल रहने के बाद अब संवैधानिक सिद्धांतों और विचारधाराओं का उल्लंघन करते हुए बड़े स्तर पर अनुचित संसदीय कार्यवाहियों का सहारा ले रही है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here