कैबिनेट ने रबी मंडीकरण सीजन के लिए पंजाब एग्रो फूडग्रेन कॉर्पोरेशन को 36.70 करोड़ रुपए जारी करने की दी मंज़ूरी

चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। पंजाब कैबिनेट ने शुक्रवार को पंजाब एग्रो फूडग्रेन कॉर्पोरेशन को साल 2019-20 के रबी मंडीकरण सीजन के दौरान किये गए कामों के लिए प्रशासनिक खर्चों के तौर पर 36.70 करोड़ रुपए जारी करने की मंज़ूरी दे दी।यह मंजूरी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व में आज शाम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा हुई मंत्रीमंडल की मीटिंग में दी गई।मुख्यमंत्री कार्यालय के प्रवक्ता के अनुसार पंजाब फूडग्रेन कॉर्पोरेशन को रबी सीजन 2019-20 दौरान किये गए काम के बनते प्रशासनिक खर्चों का भुगतान बाकी की खरीद एजेंसियों पनग्रेन, पंजाब वेयरहाऊसिंग कॉर्पोरेशन और मार्कफैड को खरी$फ सीजन 2019-20 दौरान भुगतान किए गए चावलों के बदले प्राप्त हुए प्रशासनिक खर्चों में से वित्त विभाग की शर्तों के अनुसार जारी किया जाएगा।खरीफ मंडीकरण सीज़न 2018-19 दौरान कॉर्पोरेशन का खरीद हिस्सा 10 प्रतिशत था जो खरीफ मंडीकरण सीज़न 2019-20 दौरान पनग्रेन को 4 प्रतिशत, मार्कफैड को 3 प्रतिशत और वेयरहाऊस कॉर्पोरेशन को 3 प्रतिशत हस्तांतरित कर दिया।

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इसके अनुसार फूडग्रेन कॉर्पोरेशन के प्रशासनिक खर्चों के लिए अनुपातिक हिस्से राशि 36.70 करोड़ रुपए बनती है।राज्य की एजेंसियाँ जो भारत सरकार की ओर से गेहूँ और धान की फ़सल की खरीद करती हैं जिनको खऱीफ़ मंडीकरण सीज़न दौरान ही धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य का 2.5 प्रतिशत प्रशासनिक खर्च अदा किया जाता है। यह प्रशासनिक खर्च तब बँटा जाता है जब धान को चावलों में बदल दिया जाता है और चावल एफ.सी.आई. (भारत सरकार) को डिलीवर किया जाता है। यह खर्चा राज्य की खरीद एजेंसियों द्वारा साल में हुए खर्चे जैसे कि अमला, स्टॉक का रख-रखाव और अन्य प्रशासनिक खर्चे के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।

पंजाब एग्रो फूडग्रेनज़ कॉर्पोरेशन को गेहूँ और धान की खरीद के लिए बतौर राज्य स्तरीय खरीद एजेंसी की इजाज़त दी थी। खरीद एजेंसियों द्वारा धान की कुल खरीद का तकरीबन 10 प्रतिशत हिस्सा पी.ए.एफ.सी ने खरीदा।खरीद प्रक्रिया के बेहतर प्रबंधन को यकीनी बनाने के लिए राज्य सरकार ने खरीफ मंडीकरन सीज़न 2019-20 से पहले राज्य में खरीद एजेंसियाँ घटाने का फ़ैसला किया था। इसके अनुसार 2 जुलाई, 2019 को जारी पत्र अनुसार पंजाब एग्रो फूड ग्रेनज़ कॉर्पोरेशन से अनाज की खरीद का काम वापस ले लिया गया। इसलिए कॉर्पोरेशन को खरीफ मंडी सीज़न 2019-20 के लिए कोई प्रशासनिक खर्चा नहीं मिला था जिससे कॉर्पोरेशन की अलग-अलग अदायगियाँ जैसे कि स्टॉक का रख-रखाव, कजऱ्े के ब्याज का भुगतान और अन्य अमला और प्रशासनिक खर्चों आदि पर गलत प्रभाव पड़ा।

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