लालाजी स्टैलर की चुटकी: कांग्रेस नेत्री की सक्रियता-नेताओं के खेमे में खलबली

जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव का समय नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे हर नेता अपने-अपने खेमे को मजबूत बनाने में जुट चुका है तथा कई नेता तो ऐसे हैं जो खुद को हर तरफ से मजबूत दावेदार बनाने की होड़ में कई कदम आगे भी निकल चुके हैं तथा कई एक-दूसरे की टांग खींचने का भी कोई मौका नहीं छोड़ रहे। अगर कांग्रेस की बात करें तो इन दिनों कांग्रेस से संबंधित एक नेत्री की बढ़ती सक्रियता ने बड़े-बड़े नेताओं के खेमे में खलबली मचा रखी है। राजनीतिक माहिरों की माने तो लोकसभा चुनाव में सांसद पद की मजबूत दावेदार के रुप में खुद को पेश करने की नेत्री की समस्त योजनाएं सफल होती दिखाई दे रही हैं, क्योंकि कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अंदरखाते उनका साथ देने का भी भरोसा दे दिया है। वैसे भी अगर उनका रिकार्ड देखा जाए तो पिछली कांग्रेस सरकार के समय में केन्द्रीय राज्य मंत्री रहते हुए उन्हें जो भी समय मिला उन्होंने अपने कार्यकाल में बेहतर करने का प्रयास किया। इतना ही नहीं उनका जनसंपर्क भी अन्य नेताओं से उन्हें अलग बनाता है तथा इन दिनों उनकी बढ़ती सक्रियता उन्हें टिकट के और नजदीक ले जा रहा है। क्योंकि फिलहाल अगर कांग्रेस में नजर दौड़ाई जाए तो उनके कद का होशियारपुर लोकसभा से चुनाव लडऩे लायक शायद ही कोई नेता हो।

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अपने-अपने नेता से नाराज और नेत्री को लोकसभा में देखने की उमंग मन में रखने वाले कई नेता और कार्यकर्ता उनके लिए कार्यरत हो भी चुके हैं। हाल ही में 2 अक्तूबर को रेलवे स्टेशन पर आयोजित एक कार्यक्रम में नेत्री के साथ कई ऐसे नेता दिखे जो पिछले समय में उनके साथ कम ही देखे गए। इस दौरान एक नेता ने तो बोलने का मौका मिलने पर जमकर भड़ास भी निकाल दी और नेताओं द्वारा कार्यकर्ताओं की अनदेखी किए जाने का जो दर्द था सारा नेत्री के समक्ष बयान कर डाला। नेत्री द्वारा किए गए कार्यक्रम की तस्वीरें सार्वजनिक होने पर नेताओं को अपनी कुर्सी की चिंता सताने लगी कि अगर इसी प्रकार कार्यकर्ता उनसे दूर हो गया तो आने वाले विधानसभा चुनाव में उनका क्या होगा। वैसे भी इन दिनों एक नेता जी के व्यवहार को लेकर कार्यकर्ताओं व उनके करीबियों में काफी नाराजगी भी चल रही है। नेता जी वैसे तो गलत काम एवं गलत काम करने वाले को प्रोत्साहित नहीं करते, मगर कुछेक पर विशेष कृपा के चलते सभी का मोह उनसे भंग सा होता दिखाई दे रहा है। हालांकि नेता जी को लगता है कि वे अंत में रुपये-पैसे से सब ठीक कर लेंगे, मगर कार्यकर्ताओं की नाराजगी का आलम यह है कि वे नेता जी को सबक सिखाने तक की बात सार्वजनिक रुप से करने से परहेज नहीं कर रहे।

जिससे लगता है कि नेत्री के बढ़ते कद को इसका लाभ मिलना स्वभाविक है और कार्यकर्ता उन्हें विजयी बनाने के लिए कोई कसर भी छोडऩे वाले नहीं है। हालांकि मौजूदा केन्द्रीय राज्यमंत्री व भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विजय सांपला का किला धवस्त करना मुमकिन नहीं लग रहा व इसके लिए सभी का एक होना जरुरी है। जिसके आसार कम ही नजर आ रहे हैं।राजनीतिक माहिरों की मानें तो इतना जरुर है कि अगर कांग्रेस नेत्री टिकट पाने में कामयाब हो जाती है तो कांग्रेस के कई नेताओं का अहम चूर होने में देर नहीं लगेगी। भले ही चुनाव में वे नेत्री का साथ नाममात्र ही दें, परन्तु पार्टी के समक्ष नाक रखने के लिए साथ देने का दिखावा जरुर कर सकते हैं। यह तो रही आने वाले समय की बात। वर्तमान समय में कांग्रेसी नेत्री की राजनीतिक गतिविधियां और योजनाबद्ध तरीके से जनसभा करना एवं कार्यकर्ताओं से मिलना उन्हें जनता के करीब ला रहा है। जिससे कई नेताओं की धडक़नें तेज हो चुकी हैं। सूत्रों की माने तो केन्द्र में पार्टी के उच्च नेताओं के साथ नेत्री की सीधी बात एवं संपर्क भी उन्हें टिकट की दावेदारी में पहले स्थान पर बनाए हुए हैं।

अब यह तो समय ही बताएगा कि ऊंट किस करवट बैठता है, मगर इस समय नेत्री का बढ़ता कद और कार्यकर्ताओं का उनके करीबी होने से राजनीतिक गलियारों में एक नई ही किस्म की चर्चा जन्म ले चुकी है कि आखिर नेताओं से नेता एवं कार्यकर्ता खुश क्यों नहीं है तथा इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि इसे लेकर कांग्रेस में कोई अंतरद्वंद छिड़ जाए।

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