व्यक्ति अपनी जाति से नहीं अपितु कर्म से श्रेष्ठ होता है: साध्वी जीवेश्वरी भारती

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: पुष्पिंदर। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा श्री गुरु रविदास जी के प्रकाशोत्सव पर गौतम नगर आश्रम में धार्मिक कार्यक्रम करवाया गया। जिसमें अपने प्रवचनों में श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी जीवेश्वरी भारती जी ने कहा कि जिस समय समाज में जाति-पाति का बोल बाला था, समाज ऊंच नीच जातियों में बंटा हुआ था।

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एसे परिप्रेक्षय में गुरु रविदास जी ने समाज में जन्म लिया और अपने ज्ञान के आलोक से सैंकड़ों हजारों लोगों को ईश्वरीय भक्ति से जोड़ा। यहां तक कि अनेकानेक राजा, महाराज व रानियां उनकी शिष्य शिष्याएं बनी। उन्होंने प्रभु के प्रति जो भम्र थे, उन्हें मिटाकर बताया कि प्रभु तो सबके हैं और सबके हृदय में निवास करते हैं। जहां मैं और तूं है वहां प्रभु नहीं है। उनके हृदय की पवित्रता का इससे बड़ा प्रमाण और क्या हो सकता है कि गंगा मईया ने पंडि़त जी से अपने हाथ में उनके द्वारा दिया रूपया स्वीकार किया। जिसके माध्यम से मन चंगा तो कठौती में गंगा का संदेश उन्होंने मानव जाति को दिया।

साध्वी जी ने अपने विचारों के माध्यम से बताया कि व्यक्ति अपनी जाति से नहीं अपितु कर्म से श्रेष्ठ होता है और उनकी दिव्य वाणी बेगमपुरा सहर को नाओ दुख अंदोह नहीं तिहि ठाओ.. के माध्यम से उन्होंने हमें और भी गहन संदेश दिया। हमें भी बेगमपुर के निवासी बनना है और वो बेगमपुरा कही बाहर नहीं अपितु हमारे शरीर के अंदर ही विद्यमान है जहां न कोई गम, खौफ और न ही किसी प्रकार का कोई घाटा अथवा दुख है।

एक पूर्ण संत सतगुरु द्वारा दिव्य दृष्टि को प्राप्त कर ही इन आलौचिक नजारों का अनुभव किया जा सकता है। श्री गुरु रविदास जी महाराज का यही पावन उपदेश है कि जो इस बेगमपुर शहर का निवासी बनेगा, वही मेरी मीत है सो हमें चाहिए हम उनके इस स्वप्न को पूरा करे और कार्यक्रम के अंत में साध्वी ने बहुत जन्म बिछुरे थे, माधो शब्द का गायन किया।

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