रेत का खेल: माफिया वही, बस ‘आका’ बदल गए

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होशियारपुर/हरियाना/मुकेरियां/तलवाड़ा (द स्टैलर न्यूज़)
रेत के अवैध खेल से सरकार को चूना लगाकर खुद मालमाल होने वालों की बस्ती में इन दिनों नई हलचल मची हुई है। एक तरफ जहां अवैध माइनिंग पर कसे गए शिकंजे के चलते लोगों को वैध तौर पर रेत मिलना मुश्किल बना हुआ है वहीं रेत के खेल से मालामाल होने के स्वप्न देखने वाला रेत माफिया तो वही है, मगर उनके आका बदल गए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार जहां कांग्रेस के एक बड़े नेता के बेटे की इन दिनों रेत माफिया से सांठगांठ चल रही है तथा रेत का खेल शुरु हो चुका है वहीं दूसरी तरफ अपने नए आकाओं की शर्तों अनुसार काम करने को लेकर भी माफिया में काफी खलबली मची हुई है तथा उनका कहना है कि इससे तो उनके पहले आका अच्छे थे, कम से कम लाभ बराबर तो बांटते थे, मगर इनके द्वारा मांगा जाने वाला हिस्सा तो किसी भी परसेंटेज से नहीं ‘पुगता’। मगर काम तो करना ही है और सरकार के हिसाब से करेंगे तो मालामाल कैसे होंगे।
होशियारपुर में भले ही खनन को लेकर सख्ती का असर दिख रहा हो, परन्तु होशियारपुर के अलावा/हरियाना/मुकेरियां/तलवाड़ा क्षेत्र में पड़ती खड्डों से नए आकाओं के आशीर्वाद से अवैध माइनिंग का खेल जोरों पर है तथा आवाज़ उठाने की इजाजत किसी को नहीं है। क्योंकि रेत के खेल में ‘पुरानी’ पार्टियों से संबंधित लोगों के शामिल होने से इस खेल में मजा और भी बढ़ गया है।

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सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार ‘असी की लैणा सरकार तों, असी तां रल मिल के कम करिये ते माल कमाईये’ का लोभन एक दूसरे को देते हुए अच्छी तरह से सांठगांठ किए जाने के प्रयास जोरों पर है तथा इसके तहत कई स्थानों पर काम होना शुरु भी हो चुका है। सूत्रों की मानें तो जिसके बारे में संबंधित विभाग को पता होने के बावजूद सभी चुप्पी साधे बैठ सारा तमाशा खुली आंखों से देखने को मजबूर हो रहे हैं, क्योंकि उन्हें नए आका जी के आदेश की गरिमा भी तो रखनी है तथा भाई अब बार-बार तबादला किसे पसंद है। जब कभी बड़े स्तर पर चैकिंग की जाती है तो आकाओं के चेले पहले ही इसकी जानकारी संबंधित माफिया तक पहुंचा देते हैं, जिसके चलते समस्त माफिया पहले ही ंडर ग्राउंड हो जाता है और निरीक्षण करने पहुंची टीम एकाध ट्राली वाले को पकड़ कर अपनी पीठ थपथपाने लगती है। जबकि असली मगरमच्छों ‘पाक’ होकर निकल जाते हैं।

रेत न मिलने के चलते जहां समस्त काम ठप पड़े हैं वहीं मजदूर वर्ग के समक्ष रोटी रोजगार के मसला आ खड़ा हुआ है। सरकार द्वारा भले ही जल्द माइनिंद शुरु करने की बात कही जा रही हो, मगर हर साल महंगे भाव ठेका चढऩे से रेत के भाव आसमान छूने लगे हैं, जिस कारण भी निर्माण कार्य काफी प्रभावित हो रहा है। वैध रुप से रेत न मिलने के चलते इन दिनों रेत माफिया की पौंबारहां हो गई है तथा वे हर जोड़तोड़ लगाकर रेत के खेल से मालामाल होने का खेल, खेल रहे हैं और इस खेल में नए आकाओं का उन्हें पूरा आशीर्वाद प्राप्त है, क्योंकि न जाने फिर ‘आका’ बनने का मौका मिले न मिले।

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