ब्लैक फंगस की रोकथाम को लेकर जिले में फैलाई जा रही है जागरुकता: जिलाधीश

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। डिप्टी कमिश्नर अपनीत रियात ने कहा कि जिले में ब्लैक फंगस(म्यूकोर्मिकोसिस) से बचाव को लेकर जागरुकता अभियान शुरु कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि अभी तक इस बीमारी को लेकर जिले के सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में कोई मामला रिपोर्ट नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार की ओर से ब्लैक फंगस को महांमारी  घोषित कर दिया गया है और इस संबंध में जिले के सभी अस्पतालों को इसके बचाव संबंधी अपनाई जाने वाली सावधानियों को गंभीरता से अपनाने के निर्देश दे दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि अगर समय पर मरीज डाक्टर से संपर्क कर इसका इलाज करवा ले तो इस बीमारी का इलाज संभव है। उन्होंने कहा कि यह बीमारी उन मरीजों को ज्यादा प्रभावित करती है जिनकी रोगों से लडऩे की क्षमता कम होती है लेकिन कुछ सावधानियां अपना कर इस बीमारी से बचा जा सकता है।

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डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि ब्लैक फंगस के फैलाव को रोकने के लिए अस्पतालों में साफ सफाई का ध्यान रखने व समय-समय पर  मरीजों का मास्क बदलने की हिदायत दी गई है। इसके अलावा आक्सीजन को साफ सुथरे वातावरण में रखने व आक्सीजन कंसंट्रेटर का पानी समय-समय पर बदलने के निर्देश भी दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि जिले के उन सभी अस्पतालों में जहां पर कोविड मरीजों का इलाज किया जा रहा है यह यकीनी बनाया जा रहा है कि कोविड मरीज जब  ठीक होकर घर जाता है तो उसे व उसके परिवार को ब्लैक फंगस से बचने संबंधी सावधानियों के बारे में बताया जाए।

अपनीत रियात ने जिला वासियों को अपील करते हुए कहा कि ब्लैक फंगस की इनफेक्शन किसी को भी हो सकती है चाहे वह कोविड मरीज हो या नहीं। उन्होंने कहा कि कोविड मरीजों को इस इनफेक्शन होने का ज्यादा खतरा रहता हैं क्योंकि उनमें स्टेरॉयड का लैवल ज्यादा होता है और उनकी रोगों से लडऩे की क्षमता कमजोर होती है। उन्होंने जिला वासियों को कहा कि वे ज्यादा देर तक एक ही मास्क न पहने व समय -समय पर इसे बदलते रहें। ब्लैक फंगस की दवाईयों की उपलब्धता के बारे में बताते हुए डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि इसकी उपलब्धता स्टेट के पास है। उन्होंने कहा कि जिस तरह कोविड के मरीजों के लिए रेमेडेसिवर को कंट्रोल तरीके से प्रीसक्रिप्शन के आधार पर इशू किया जाता है, उसी तरह ब्लैक फंगस की दवाई भी प्रीसक्रिप्शन के आधार पर इशू की जाती है। उन्होंने कहा कि दवाई की कोई कमी नहीं बल्कि इसको रेगुलेटिड तरीके से दिया जाएगा।

ब्लैक फंगस के लक्षण व बचाव के लिए क्या करे क्या न करें
डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि चेहरे में दर्द या सोजिश, नाक बंद होना है नाक से भूरा पानी निकलना, दांतों में दर्द या दांतो का ढीला पडऩा, आंखों में लाली, दर्द या सोजिश, बुखार व सांस लेने में दिक्कत, सिर दर्द, धुंधला या दो-दो नजर आना ब्लैाक फंगस के लक्षण है। उन्होंने कहा कि लक्षण दिखने पर तुरंत नजदीकी सरकारी अस्पताल में नाक, कान व गला, मैडिसन, छाती रोगों के माहिर या प्लास्टिक सर्जन से संपर्क कर जांच करवाएं। उन्होंने कहा कि शूगर के गंभीर रोगियों, कम इम्यूनिटी वाले व्यक्तियों(एच.आई.वी, कैंसर आदि से पीडि़त), स्टेरॉयड, इम्यूनोमोडूलेटरा से कोविड-19 से ठीक हुए व्यक्ति, लंबा समय से आक्सीजन पर रहने वाले मरीज को इस ब्लैक फंगस होने का ज्यादा खतरा रहता है।

 डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि कोविड मरीजो खासकर उन मरीजों को जिनको डायबिटिज होती है या जिनको ज्यादा स्टेरॉयड देने पड़ रहे हैं उनमें यह बीमारी पाई जा रही है। क्योंकि उनकी बीमारियों से लडऩे की शक्ति कम हो जाती है। उन्होंने लोगों को अपील करते हुए कहा कि वे सैल्फ मैडिकेशन न करें और न ही अपने आप स्टेरॉयड लें। उन्होंने कहा कि अगर कोई मरीज डाक्टर के पास जाता है और उसे शूगर की बीमारी है तो वह डाक्टर को अपनी पूरी हिस्ट्री दें। उन्होंने कहा कि क्योंकि शूगर का लैवल कंट्रोल करना बहुत जरुरी है, इस लिए डाक्टर अपने हिसाब से मरीज को दवाई देता है।

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