सेवानिवृत्ति पर विशेष: मानव व पर्यावरण सेवा की जीवंत उदाहरण हैं “संजीव अरोड़ा”

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। कहते हैं जिस पर भगवान की असीम कृपा होती है वह ही मानव सेवा कार्यों को समर्पित हो सकता है। अन्यथा समाज में ऐसे लोग भी हैं जो सक्षम होते हुए भी कभी किसी की सहायता को आगे नहीं आते। इनमें भी वे लोग और भी विलक्ष्ण होते हैं जो सरकारी नौकरी में रहते हुए मानवता की सेवा को ही सर्वोपरि मानते हैं। सरकारी की योजनाओं एवं सेवाओं को तो जनता तक पहुंचाते ही हैं साथ ही जरुरतमंदों की सेवा करके मानवता के प्रति धर्म को निभाने से भी कभी नहीं चूकते। ऐसे ही विलक्ष्ण लोगों में शूमार हैं नगर निगम होशियारपुर में बतौर सुपरिंटेंडेंट तैनात “संजीव अरोड़ा”जोकि करीब 37 साल की सेवा उपरांत 31 मई को पद से सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

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इनके जीवन की बात की जाए तो सरकारी नौकरी में आने से पहले ही माता-पिता से मिले मानव सेवा संस्कारों के चलते बचपन से ही जरुरतमंदों की सहायता को आगे रहते। पहले स्कूल तथा बाद में कालेज स्तर पर साथी विद्यार्थियों व अलग-अलग संस्थाओं के सहयोग से जरुरतमंदों तक पहुंच करते तथा सेवा का कोई भी मौका हाथ से इन्होंने नहीं जाने दिया। सरकारी सेवा को पूरी तनमयता से निभाने के साथ-साथ ड्यूटी समय के बाद मानव सेवा कार्यों को जारी रखना भले ही इनके लिए चुनौती भरा रहा, लेकिन इन्होंने उसका भी ऐसा हल निकाला कि सरकारी योजनाओं को मानव सेवा के साथ जोडक़र सेवा और जागरुकता अभियान चलाए। तंदरुस्त पंजाब, स्वच्छ भारत अभियान, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, दहेज प्रथा के विरोध में, जरुरतमंद बच्चों को शिक्षा व पाठ्य सामग्री प्रदान करने में, जरुरतमंद मरीजों को दवाएं उपलब्ध करवाने में, जरुरतमंद परिवार की कन्या के विवाह पर सहायता सामग्री भेंट करने के साथ-साथ पिछले साल से कोरोना काल के प्रारंभ से लेकर अब तक संस्थाओं के सहयोग एवं सरकार द्वारा चलाए गए अभियानों के तहत लगी ड्यूटी को पूरी ईमानदारी से निभाते हुए दिन-रात जरुरतमंदों की सेवा में उपलब्ध रहे। इतना ही नहीं शारीरिक तौर पर अक्षम लोगों को कृत्रम अंग प्रदान करने हेतु विशेष कैंप लगाना तथा नेत्रदान मुहिम को पंजाब स्तर पर पहुंचाने में भी संजीव अरोड़ा की भूमिका अहम रही। इन्होंने अपनी संस्थाओं के साथ-साथ अन्य संस्थाओं को इन कार्यों के साथ जोडक़र इसे एक लोक लहर बनाने का कार्य किया। जिसका परिणाम यह है कि आज लोग जरुरतमंदों को कृत्रम अंग प्रदान करने के लिए आगे तो आ ही रहे हैं साथ ही नेत्रदान के प्रति भी पहले से अधिक जागरुक हुए हैं। जिसके चलते कई लोगों को दुनियां देखने का मौका मिल रहा है। इसके साथ-साथ वातावरण की संभाल एवं हरियाली को बढ़ावा देने के लिए एक पर्यावरण प्रेमी के तौर पर कार्य करके संजीव अरोड़ा ने संदेश दिया कि मानवता की सेवा तभी संभव है जब हमारा वातावरण एवं पर्यावरण साफ सुथरा और हरा भरा रहेगा। इसी कड़ी के तहत पक्षियों के लिए कृत्रिम घोंसले बनाकर लगाए, जिनमें रहने वाले पक्षियों का चहचहाना कुदरत का आशीर्वाद उन्हें प्रदान कर रहे हैं।

संजीव अरोड़ा जिन्हें उनके सेवा कार्यों और बेहतरीन सरकारी सेवाओं के लिए 15 अगस्त व 26 जनवरी के साथ-साथ विश्व रैडक्रास दिवस पर भी इन्हें सम्मानित किया जा चुका है तथा सैनी जाग्रति मंच द्वारा भी इनकी सेवाओं को सराहा गया है। संजीव अरोड़ा बताते हैं कि भारत विकास परिषद, लायसं क्लब, रोटरी क्लब, सरबत दा भला चैरीटेबल ट्रस्ट, होशियारपुर वैल्फेयर सोसायटी व अन्य संस्थाओं से जुडक़र उन्होंने सेवा कार्य जारी रखे तथा इसमें संस्थाओं के सहस्यों का भी भरपूर सहयोग रहा है। एक सवाल के जवाब में संजीव अरोड़ा ने कहा कि हर संस्था का मनोरथ भले ही मानव सेवा हो, लेकिन उनके द्वारा करवाए जाने वाले इवेंट अलग-अलग होने के कारण कभी कभार मुश्कित तो लगा, लेकिन भगवान की कृपा से सभी कार्य सफलतापूर्वक संपन्न हुए तथा सेवा निवृत्त होने के बाद भी इन कार्यों में कोई कमी नहीं आने दी जाएगी क्योंकि अब वे एक बड़ी जिम्मेदारी से मुक्त होकर पूरी तरह से समाज सेवा को समर्पित हो पाएंगे। उन्होंने कहा कि ड्यूटी के साथ-साथ अलग-अलग प्रोजैक्टों के तहत सेवा कार्य करने में उनकी पत्नी रेणु अरोड़ा व बेटियां डा. अंकिता अरोड़ा व वंशिका अरोड़ा ने जो साथ दिया उन्हें शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। क्योंकि, उनके सहयोग एवं प्रेरणा के बिना शायद सेवा कार्य संभव नहीं हो पाते। संजीव अरोड़ा ने कहा कि उन्होंने सरकारी नौकरी के तहत मिली जिम्मेदारी को प्राथमिकता के तौर पर निभाते हुए सेवा कार्यों के कारण कभी अपनी इस जिम्मेदारी को प्रभावित नहीं होने दिया। जिस कारण उनके सीनियरों का भी उन्हें भरपूर सहयोग मिलता रहा व वे मानव सेवा कार्यों के पथ पर चलते रहे व आगे भी चलते रहेंगे। नौकरी के अपने 37 साल के अनुभवों को सांझा करते हुए संजीव अरोड़ा ने कहा कि पहले नरग कौंसिल तथा बाद में नगर निगम बनने पर उन्होंने अपनी समस्त सेवा यहीं की और उन्हें गर्व है कि इस दौरान उनके सहयोगियों एवं शहर निवासियों ने उन्हें जो प्यार एवं सहयोग दिया उसके लिए वह उनके सदैव आभारी रहेंगे।

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