गायत्री मंत्र को समझने मात्र से चारों वेदों का ज्ञान मिलता है:कौशल

दातारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। विघ्नहर्ता श्री गणेश मन्दिर दातारपुर में गणेशोत्सव कमेटी के अध्यक्ष बौबी कौशल ने माता गायत्री की जयंती के अवसर पर धर्म चर्चा करते हुए कहा कि श्रद्धालु मां गायत्री की आज गंगा स्नान अथवा घर में ही स्नान के बाद आराधना करेंगे। कौशल ने कहा वैश्विक महामारी कोरोना के चलते घर पर ही गायत्री की पूजा अर्चना करें। उन्होंने आगे कहा गायत्री मां हिंदू भारतीय संस्कृति की जन्मदात्री हैं। गायत्री मां से ही चारों वेदों की उत्पति मानी जाती है। इसलिए वेदों का सार भी गायत्री मंत्र को माना जाता है। कौशल ने कहा चारों वेदों का ज्ञान लेने के बाद जिस पुण्य की प्राप्ति होती है अकेले गायत्री मंत्र को समझने मात्र से चारों वेदों का ज्ञान मिल जाता है। उन्होंने कहा ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं की आराध्य भी इन्हें ही माना जाता है। इसलिए इन्हें देवमाता भी कहा जाता है। समस्त ज्ञान की देवी भी गायत्री हैं, इस कारण गायत्री को ज्ञान-गंगा भी कहा जाता है। इन्हें भगवान ब्रह्मा की दूसरी पत्नी भी माना जाता है।

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मां पार्वती, सरस्वती, लक्ष्मी की अवतार भी गायत्री को कहा जाता है। माना जाता है कि सृष्टि के आदि में ब्रह्मा जी पर गायत्री मंत्र प्रकट हुआ। मां गायत्री की कृपा से ब्रह्मा जी ने गायत्री मंत्र की व्याख्या अपने चारों मुखों से चार वेदों के रूप में की। उन्होंने कहा आरम्भ में गायत्री केवल देवताओं तक सीमित थी, लेकिन जिस प्रकार भगीरथ गंगा मैया को स्वर्ग से धरती पर उतार लाए उसी तरह विश्वामित्र ने भी कठोर साधना कर मां गायत्री की महिमा अर्थात गायत्री मंत्र को सर्वसाधारण तक पहुंचाया।

कौशल ने कहा महाभारत के रचयिता वेद व्यास कहते हैं जैसे फूलों में शहद, दूध में घी सार रूप में होता है वैसे ही समस्त वेदों का सार गायत्री है। यदि गायत्री को सिद्ध कर लिया जाए तो यह कामधेनु (इच्छा पूरी करने वाली दैवीय गाय) के समान है। जैसे गंगा शरीर के पापों को धो कर तन मन को निर्मल करती है, उसी प्रकार गायत्री रूपी ब्रह्म गंगा से आत्मा पवित्र हो जाती है। गायत्री को सर्वसाधारण तक पहुंचाने वाले विश्वामित्र कहते हैं कि ब्रह्मा जी ने तीनों वेदों का सार तीन चरण वाला गायत्री मंत्र निकाला है। उन्होंने कहा गायत्री से बढक़र पवित्र करने वाला मंत्र और कोई नहीं है।

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