मुख्यमंत्री ने यौन शोषण के अपराधों की शीघ्र जांच करने और मुकदमा चलाने को यकीनी बनाने के लिए राज्य स्तरीय समिति का किया गठन

चण्डीगढ़(द स्टैलर न्यूज़)। कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध यौन शोषण के सभी अपराधों की तेज़ी से जांच और निगरानी को यकीनी बनाने के लिए राज्य स्तरीय समिति का गठन किया है और जांच प्रक्रिया के बारे में मार्गदर्शन देने के लिए स्पष्ट तौर पर विशेष संचालन विधि (एस.ओ.पीज़) परिभाषित की गई है। यह फ़ैसला बुधवार को मुख्य सचिव विनी महाजन की अध्यक्षता अधीन हुई एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में लिया गया, जिन्होंने ऐलान किया कि अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह के नेतृत्व अधीन 6 सदस्यीय समिति मासिक आधार पर यौन शोषण के मामलों की प्रगति की समीक्षा करेगी। उन्होंने 500 चिकित्सा अधिकारियों को तुरंत प्रशिक्षण देने के आदेश भी दिए, जिससे यह सुनिश्चित बनाया जा सके कि यौन शोषण के मामलों में जांच और दस्तावेज़ी कार्यवाही में कोई देरी न हो।

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मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुसार लिए गए यह फ़ैसले महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराध के मामलों में समय पर जांच को सुनिश्चित बनाएंगे और ऐसे मामलों में मुकदमा चलाने की दर में भी सुधार होगा। बैठक में पंजाब राज्य पीडि़त मुआवज़ा योजना और निर्भया फंड सम्बन्धी भारत सरकार को भेजे गए प्रस्तावों की स्थिति की भी समीक्षा की गई। ऐसे मामलों में जांच और मुकदमा चलाने की कार्यवाही में तेज़ी लाने के तरीकों पर विचार करने के लिए बुलाई गई मीटिंग के बाद विनी महाजन ने कहा कि सरकार द्वारा अंतिम रूप दिए गए विशेष संचालन विधि से सम्बन्धित अधिकारियों को यौन शोषण के मामलों में जांच में तेज़ी लाने और दोषी ठहराए जाने की दर में सुधार लाने में मदद मिलेगी। 

मुख्य सचिव ने पुलिस विभाग को महिला पुलिस अधिकारियों को नियुक्त करने की भी हिदायत की, जिनको ऐसे मामलों की जांच और तालमेल के लिए राज्य के हरेक स्कूल और कॉलेज से पर्सन ऑफ कॉन्टैक्ट (पी.ओ.सी.) के तौर पर महिला सुरक्षा अधिकारी लगाया जाएगा। उन्होंने डिप्टी कमिश्नरों को आगे कहा कि पंजाब राज्य पीडि़त मुआवज़ा योजना के अधीन जि़ला कानूनी सेवा प्राधिकरण (डी.एल.एस.ए.) द्वारा रैफर किए गए सभी मामलों में 15 जुलाई तक निर्भरता सर्टिफिकेट जारी किए जाएँ। डायरैक्टर जनरल ऑफ पुलिस (डीजीपी), पंजाब दिनकर गुप्ता ने बताया कि पुलिस विभाग ने यौन उत्पीडऩ के मामलों की जांच में तेज़ी लाई है और 1 जनवरी, 2016 से 31 दिसंबर, 2020 के दरमियान दर्ज किए गए कम से कम 150 मामलों में अदालत में मुकदमा चलाया गया है।  उन्होंने कहा कि पिछले चार सालों के दौरान दर्ज किए गए यौन उत्पीडऩ के कुल 1526 मामलों में से 1505 (98.5 प्रतिशत) में चार्जशीट दाखि़ल की गई है।

उन्होंने कहा कि 1 जनवरी, 2021 से अब तक दर्ज मामलों की जांच पर भी लगातार नजऱ रखी जा रही है। डी.जी.पी. ने आगे बताया कि राज्य के सभी 28 पुलिस जिलों में गठित किए गए यौन उत्पीडऩ प्रतिक्रिया दल सभी 382 पुलिस थानों में स्थापित महिला हेल्प डेस्कों के साथ मिलकर काम कर रही हैं, जिससे यौन उत्पीडऩ के पीडि़तों को जल्द न्याय दिलाया जा सके। उन्होंने बताया कि 60,000 से अधिक महिलाओं, बच्चों और बुज़ुर्ग नागरिकों ने सहायता के लिए महिला मित्रों (सहायता के लिए तैनात महिला अधिकारियों) के ज़रिये इन हेल्प डैस्कों तक पहुँच की है। उन्होंने कहा कि पंजाब पुलिस अकादमी फिल्लौर द्वारा बेहतर तालमेल बनाने के लिए स्वास्थ्य, पुलिस और अभियोजन विभागों के मुख्य जि़ला कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण प्रोग्राम करवाया जाएगा। यह प्रोग्राम जुलाई में करवाने की योजना है। बैठक में अन्यों के अलावा अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह अनुराग अग्रवाल, प्रमुख सचिव सामाजिक सुरक्षा और महिला एवं बाल विकास राज़ी पी श्रीवास्तव, प्रमुख सचिव वित्त के.ए.पी. सिन्हा, ए.डी.जी.पी. महिला एवं बाल मामले गुरप्रीत कौर दिओ और डायरैक्टर पंजाब पुलिस अकादमी (पी.पी.ए.) फिल्लौर अनीता पुंज मौजूद थे।

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