पराली प्रबंधन में ज़िला जालंधर के प्रगतिशील किसान बने मार्गदर्शक

जालंधर(द स्टैलर न्यूज़)। ज़िले के प्रगतिशील किसान पराली के सभ्यक प्रबंधन के मामलो में अन्य किसानों के लिए मार्गदर्शक बनने लगे हैं। यह किसान पराली के सभ्यक प्रबंधन के लिए हाई टेक मशीनों का प्रयोग कर जहाँ आलू का कई गुणा झाड़ प्राप्त कर रहे हैं वहीं वातावरण को प्रदूषण मुक्त रखने में भी योगदान डाल रहे हैं। गाँव लल्लियां खुर्द के सरपंच किसान जगजीत सिंह की तरफ से पिछले 4 सालों से खेतों में पराली को आग नहीं लगाई गई बल्कि पराली का खेतों में ही सभ्य प्रबंधन कर के करीब 200 एकड़ क्षेत्रफल में आलू की बिजवाई की जाती है। उसने बताया कि इस तरह करने से मिट्टी के स्वास्थ्य में बेहद सुधार हुआ है और खादों का प्रयोग कम हो गया है उस ने बताया कि आलू के झाड़ में भी कई गुणा वृद्धि हुई  है और यह सब पराली को खेत में ही जोत देने से संभव हुआ है।

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किसान जगजीत सिंह, जिसको 15 अगस्त 2019 को पराली के सभ्यक प्रबंधन के लिए ज़िला प्रशासन की तरफ से सम्मानित भी किया चुका है, ने कहा कि उस ने अपने गाँव को पराली के धुएँ से मुक्त करने का प्रण लिया है, जिस के अंतर्गत उस की तरफ से अपने गाँव के दूसरे किसानों को पराली के सभ्यक प्रबंधन के लिए अपनी, इन -सीटू मशीनों की पेशकश करने के इलावा पराली को आग न लाने के लिए प्रेरित भी किया जाता है।  गाँव लल्लियां के ही एक ओर किसान अमनदीप सिंह की तरफ से भी पिछले 4 सालों से अपने खेतों में ही पराली का सभ्य प्रबंधन किया जा रहा है। इस प्रगतिशील किसान ने अपने गाँव में किसानों का एक समूह भी बनाया हुआ है, जिस की तरफ से अन्य किसानों को पराली को आग न लाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। उस ने बताया कि वह करीब 150 एकड़ क्षेत्रफल में इन -सीटू मशीनों के साथ पराली का प्रबंधन कर के आलू की बिजवाई कर रहा है और इस के साथ जहाँ खेती खर्चों में कमी आई है वहीं आलू की गुणवत्ता और उत्पादन में भी वृद्धि हुई है।

इसी तरह गाँव कादियां वाली के किसान हरमोहिन्दर सिंह ने बताया कि उस की तरफ से पिछले तीन सालों से अपनी 250 एकड़ ज़मीन में पराली का सभ्य प्रबंधन करके आलू की बिजवाई की जा रही है, जिस से उसे बढिया लाभ प्राप्त हुआ है। डिप्टी कमिश्नर, जालंधर श्री घनश्याम थोरी ने कहा कि दूसरे किसानों को भी इन किसानों से प्रेरणा लेनी चाहिए और पराली का प्रयोग मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाने के लिए करना चाहिए।उन्होंने बताया कि फ़सली अवशेषों का प्रबंधन स्कीम के अंतर्गत राज्य सरकार की तरफ से धान की पराली का खेतों में ही निपटारा करने के लिए एस.एम.एस., सुपर सिडर, हैपी सिडर, पैडी स्टराय चौपर /शरैडर /मलचर, हाइड्रोलिक रिवरसीबल मौडल बोर्ड पलौय किसानों की सुविधा के लिए सब्सिडी पर मुहैया करवाए जा रहे हैं। डिप्टी कमिश्नर ने किसानों को सरकार की इस स्कीम का लाभ लेने की अपील करते हुए कहा कि धान की पराली को जलाने की बजाय इस का खेतों में ही सभ्य प्रबंधन किया जाये जिससे वातावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सके।

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