शराब के दिवानों लिए अच्छी खबर: खत्म हुआ सिंडीकेट, अब कंपीटीशन में सस्ती मिलेगी शराब?

शराब की दिवानों के लिए अच्छी खबर है। क्योंकि, होशियारपुर में शराब के ठेकेदारों की मनोपली के लिए बनाया गया सिंडीकेट खत्म कर दिए जाने की खबरें जोर पकडऩे लगी हैं तथा अब कंपीटीशन में पीने वालों को सस्ती शराब मिलने का रास्ता साफ हो गया है। इससे पहले सिंडीकेट होने के चलते शराब के ठेकेदारों ने रेट काफी बढ़ा दिए थे, जिस कारण पीने वालों को शराब महंगे दाम देकर खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा था। सूत्रों की माने तो ऐसा इसलिए भी था क्योंकि किसी एक बड़े ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए विभाग के दवाब में सिंडीकेट का निर्माण किया गया था। लेकिन काफी समय तक सिंडीकेट चलाने के बाद 5 नवंबर को सिंडीकेट खत्म हो गया।

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चर्चाओं का बाजार गर्म है…

जिसकी भनक लगते ही शराब के दिवानों में खुशी की लहर दौड़ गई है। हालांकि फिलहाल औपचारिक तौर पर इसकी घोषणा नहीं की गई, लेकिन इस कारोबार से जुड़े कुछेक लोगों ने दबी जुबान में सिंडीकेट खत्म होने की खबर की पुष्टि कर डाली है। दूसरी तरफ विभागीय सूत्रों के अनुसार शराब के ड़े कारोबारी के दवाब के चलते विभाग द्वारा पुन: सिंडीकेट बनाने का दवाब बनाए जाने की चर्चाएं भी जोर पकडऩे लगी हैं। जिस कारण ठेकेदार सिंडीकेट खत्म करने संबंधी खुलकर बोलने को तैयार नहीं। लेकिन इतना जरुर है कि पड़ोसी राज्यों के मुकाबले पंजाब में शराब के दाम काफी अधिक होने के कारण पीने वालों की मांग थी कि दाम कम किए जाएं। भले ही यह हास्यपद लगे पर जिस प्रकार पंजाब सरकार ने बिजली व रेत आदि सस्ती की उसी प्रकार शराब के दिवानों की मांग थी कि पंजाब में शराब के दाम भी कम किए जाएं ताकि वह अपनी प्यास बुझा सकें। इसमें भी कोई शक नहीं कि शराब कारोबार से सरकार को अरबों रुपये का राजस्व प्राप्त होता है, जिससे कई विकास कार्य करवाए जाते हैं।

अब जबकि सिंडीकेट खत्म होने की खबर जोर पकड़ रही है तो ऐसे में यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि इस स्थिति में ठेकेदारों के बीच सेल बढ़ाने को लेकर कंपीटीशन होगा, जिसका लाभ पीने वालों को मिलना तय है। क्योंकि, अधिक सेल के चक्कर में बोतल व पेटी के पीछे अगर 2-4 सौ रुपये का भी फर्क मिलेगा तो लोग उसी ठेके से शराब खरीदना पसंद करेंगे। अब देखना यह होगा कि क्या सिंडीकेट टूटने का लाभ पीने के शौकीन लोगों को मिलेगा या फिर किसी दवाब में पुन: सिंडीकेट बनाकर लोगों पर मर्जी के दाम थोपे जाते हैं।

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