नई दिल्ली (द स्टैलर न्यूज़)। क्या आप सोच सकते हैं कि पाकिस्तान जैसे मुस्लिम बाहुल्य देश में हिंदू-मुस्लिम इक्टठे पूजा-अर्चना करते होंगे और यहां ‘जै माता दी’ के जैकारों पर कोई आपत्ति नहीं है। यह पढ़ कर आपको अजीब जरूर लगा होगा लेकिन यह सच है। मुस्लिम इसे ‘नानी का हज’ कहते हैं और हिंदुओं का यह प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां हिंगलाज का दरबार है। मुस्लिम इसे अपनी धार्मिक यात्रा का हिस्सा भी मानते हैं। पौराणिक कथाओं अनुसार यहां माता सती जी का शीश गिरा था। यह मंदिर बलूचिस्तान से 120 किलोमीटर दूर हिंगुल नदी के तट पर स्थित है।
इस मंदिर के बारे में 1500 साल पहले घूमने आए चीनी बौद्ध भिक्षुओं ने कई बातें लिखी हैं। इस मंदिर के बारे में चीनी बौद्ध भिक्षुओं ने बताया कि मोहम्मद बिन कासिम तथा मोहम्मद गजनी ने मंदिर को कई बार लूटा था। इस मंदिर में रोजाना ‘जय माता दी’ के जयकारे लगते हैं. जयकारा लगाने वालों में हिंदुओं के साथ मुसलमान भी शामिल होते हैं। इसे हिंगलाज भवानी शक्तिपीठ के नाम से भी जाना जाता है, जो हिंगलाज क्षेत्र में स्थित है। कहा जाता है कि माता के 51 शक्तिपीठ में से सबसे महत्वपूर्ण पीठ यहीं आकर गिरा था। धरती पर मां के पहले स्थान के रूप में हिंगलाज माता के मंदिर को जाना जाता है। बता दें कि भगवान विष्णु के चक्र से माता सती के अंग कटने के बाद जिन-जिन जगहों पर गिरे हैं, उस जगह को शक्तिपीठ कहा जाता है। मंदिर को मुस्लिम लोग ‘नानी का मंदिर’ के नाम से जानते हैं। बताया जाता है कि मुसलमान किसी प्राचीन परंपरा का पालन करते हुए मंदिर में आस्था रखते हैं तथा देवी मां के दर्शन करने आते हैं। मुस्लिम समाज के लोग मंदिर को अपने तीर्थयात्रा का हिस्सा भी मानते है। इसलिए वह इसे ‘नानी का हज’ कहते है।