गेहूं वितरण: एक बार फिर हुआ राजनीतिक ड्रामा, भेंट चढ़ी जनता

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होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। शहर के वार्ड नंबर 13 में आज 5 सितंबर को एक बार फिर से गेहूं वितरण के नाम पर हुई ड्रामेबाजी को लेकर खूब हंगामा हुआ। सुबह साढे आठ बजे लोग मंदिर प्रांगण में इक_ा होना शुरु हो गए थे। मगर, न जाने क्यों साढ़े 11 बजे तक लोगों को गेहूं लेने के लिए इंतजार करना पड़ा। एक तरफ जहां लोगों ने आरोप लगाया कि उन्हें जानबूझ कर तंग परेशान किया जा रहा तो दूसरी तरफ देरी से मौके पर पहुंचे कांग्रेसी नेत्री समाचारपत्रों में छपी लोगों की समस्या से खासी नाराज दिखी। नेत्री ने समय पर पहुंच कर लोगों को राहत देते हुए गेहूं वितरण करने के स्थान पर लोगों से इस बात को लेकर रोष करना शुरु कर दिया वे कांग्रेस के खिलाफ बोले, जबकि लोग इस बात को लेकर खफा थे कि जबकि गेहूं सुबह 9 बजे आ गई थी तो उन्हें इतनी देर तक क्यों बिठाया रखा। आखिर कांग्रेसी ऐसा क्यों कर रहे हैं। मगर, इसका जवाब नेत्री व उसके साथ आए कांग्रेसियों के पास हीं था।

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पिछले कल 4 सितंबर को भी गेहूं, डिपो होल्डल एवं लाभपात्री समय पर पहुंच गए थे, मगर अंदरखाते कांग्रेसियों द्वारा खुद गेहूं बांटने को लेकर हुई राजनीति के चलते लाभपात्री गरीब लोगों को खासी परेशानी से गुजरना पड़ा तथा उनका पूरा दिन गेहूं के चक्कर में निकल गया।

मौके पर पहुंचे ए.एफ.एस.ओ. संजीव कुमार के पास पत्रकारों के सवालों का जवाब नहीं था तथा उनके चेहरे से सत्ताधारियों का हुक्म साफ झलक रहा था कि जिसकी सरकार उसकी बोली तो बोलनी ही पड़ती है। वे एक ही बात कहते रहे कि जिस इंस्पैक्टर की यहां ड्यूटी लगाई गई थी उसे टांडा जाना पड़ा। मगर, गेहूं समय पर आ गई थी, डिपो होल्डर भी था व वार्ड पार्षद भी मौजूद थी तो गेहूं क्यों नहीं दिया गया को लेकर उनके पास कोई स्पष्ट जवाब नहीं था। जिससे लग रहा था कि गेहूं वितरण करके जनता का हितैषी होने का चंद कांग्रेसियों का खेल जनता की परेशानी का कारण बना।

इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि जिसकी सरकार होती है उसके नेता चाहते हैं कि जनता तक भलाई योजनाओं को पहुंचाकर जनहितैषी होने का लाभ लें और ऐसा होना स्वभाविक भी है। मगर जनता को घंटों इंतजार करवाने और जनता से सहानूभूति जताने के स्थान पर उनके साथ ही रोष करना तर्कसंगत नहीं कहा जा सकता। वार्ड 13 में ऐसा क्यों हुआ इसका जवाब तो शायद कांग्रेसी ही दे सकें, मगर मौके पर पहुंचे लोगों का दर्द एक बार फिर से बढ़ गया। काफी कशमकश के बाद लोगों को गेहूं दी जानी प्रारंभ की गई और लोगों ने राहत की सांस ली।

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लोगों ने बताया कि वे दिहाड़ीदार गरीब लोग हैं तथा पिछले कल भी उनका पूरा दिन गेहूं के चक्कर में निकल गया तथा भूखे प्यासे वे गेहूं मिलने का इंतजार करते रहे, पर जब बारी आई तो गेहूं खत्म हो गई थी। आज एक बार फिर जब वे अपने कामकाज छोड़ गेहूं लेने पहुंचे हैं तो सभी प्रबंध होने के बावजूद राजनीतिक ड्रामे के चलते उन्हें परेशान होना पड़ रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की कि गेहूं वितरण में राजनीति करके गरीबों का मजाक न उड़ाए जाए तथा गेहूं वितरण का शुभारंभ करने जैसे काम पर रोक लगाई जाए।

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