क्या राजनीति सचमुच सेवा है ?: राकेश भार्गव

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़): 26 जनवरी संविधान दिवस को मनाए अभी कुछ दिन ही हुए हैं उसी संविधान की उन सभी धाराओं की धज्जियां यह राजनीतिक लोग कैसे उड़ा रहे हैं हम अपनी आंखों से देख रहे हैं, सुन रहे हैं। शायद 26 जनवरी 1950 के बाद यह पहला चुनाव है जब इतनी कड़वाहट, इतने गंदे शब्द, राजनीतिक लोग एक दूसरे के लिए प्रयोग कर रहे हैं। अब प्रश्न यह है कि आम जनता का क्या होगा ? 20 फरवरी 2022 को मतदान दिवस है। दूसरे शब्दों में यदि यह कहा जाए कि उस दिन सभी लोग अपना मत  दान कर देंगे। तो यह दान किसके लिए ? उन लोगों के लिए जो हमारी पीढ़ी को इतने गंदे गंदे शब्द सिखा रहे हैं ? यहां प्यार नाम की कोई चीज नहीं। नफरत, घृणा सिखाई जा रही है। होड़ लगी हुई है, झूठ पर झूठ बोलने की। मतदानीयों के लिए नित्य नई घोषणाएं कि उनको यह मुफ्त में दिया जाएगा और यह मुफ्त में दिया जाएगा। आखिर हम लोग कब तक इस मुफ्त पर टिके रहेंगे ? क्या यह मुफ्त की लालसा हमें किसी बड़े गर्त में नहीं डालने जा रही ? यह वही लोग होंगे जिन्होंने कल संविधान की रक्षा करने का प्रण लेना है। हमारा संविधान बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी ने इसलिए बनाया था कि लोगों को काम करने की आदत डाली जाए।

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सभी को समान अधिकार मिलें।अव प्रश्न यह है कि जब सब कुछ मुफ्त में मिलने वाला है तो कौन सा प्राणी होगा जो काम करना चाहेगा ? क्या यह हमारे बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं है ? आज सभी सरकारी विभाग किस दशा में इन लोगों की करतूतों के कारण पहुंच गए हैं यह प्रश्न भी अब यक्ष रूप ले रहा है। पंजाब के सबसे बड़े विभाग बिजली बोर्ड जिसे अब पावर कारपोरेशन और ट्रांसमिशन कारपोरेशन का नाम दिया गया है के साथ-साथ पंजाब का ट्रांसपोर्ट विभाग, पंजाब का स्वास्थ्य विभाग, किस-किस विभाग की बात करें जो अपनी अंतिम सांसे ना ले रहा हो। आखिर कौन दोषी है इस सभी के लिए ? आज चुनाव में बहुत थोड़े दिन बाकी हैं। हमारे लिए एक कठिन स्थिति है कि हम अपना मत, अपनी बुद्धि जो दान करने जा रहे हैं क्या सचमुच उन लोगों के लिए दान करेंगे जो कार्य करेंगे। ना कि बातें। हमें याद रखना होगा कि कौन ऐसे लोग हैं जो समाज में निरंतर घृणा फैलाने का काम कर रहे हैं और हमारे ही मत लेकर फिर हमें दास बना लेते हैं। असल विकास क्या है ? यह सारे यक्ष प्रश्न आज आप की अदालत में रखे हैं ताकि मतदान करने से पहले कृपया एक बार जरूर सोच लें कि आज हम किसके लिए मतदान कर रहे हैं।

अपने बच्चों के भविष्य का ध्यान रखें। आपकी तो जैसे तैसे कट गई, परंतु आने वाली पीढ़ी के लिए हम क्या वीज रहे हैं यह हमें सोचना होगा, समझना होगा। यहाँ  तक राजनीति सेवा है का अलाप करने वाले लोग यदि सचमुच में सेवा ही करना चाहते हैं तो एक बार सच्चे मन से, सच्चे हृदय से, आमजन को बताने का कष्ट जरूर करें कि जब वो सेवादार (एमपी/एमएलए) नहीं थे तो उनकी आय कितनी थी और कथित सेवादार एमपी/ एमएलए बनने के बाद कितनी हो गई ? और वह कौन से रास्ते थे जिन रास्तों से होकर यह आय बेतहाशा बढ़ गई, का उल्लेख जरूर करेंगे। मेरी सम्मानीय प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी जी से करबद्ध प्रार्थना है कि वह 15 फरवरी 2022 की रात्रि को अपने मन की बात में यह कह दें कि जितने लोग सेवादारी के लिए खड़े हैं, उन सभी की आय, उन सभी की संपत्ति रात्रि 12:00 बजे, उनकी नहीं रहेगी। सरकारी हो जाएगी। तो फिर देखते हैं कि मैदान में कितने लोग होंगे जो सचमुच सेवा के लिए सुबह खड़े नजर आएंगे।

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