लो जी! कर लो घर मजबूत: चोला भाजपा का और गुणगान कांग्रेस का

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होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। होशियारपुर में इन दिनों कुछ समय पहले ही भाजपा के एक नेता को छोड़ भाजपा के दूसरे बड़े नेता के खामखास चापलूस बनने वालों की चर्चा खूब है। वे नाम तो भाजपा का जपते हैं, मगर गुणगान कांग्रेस का करते नहीं थकते, जिसके चलते उनके दोगले चेहरे जनता के बीच नंगे होने शुरु हो चुके हैं। आलम ये है कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार होने पर भी उन्हें खुद पर गर्व महसूस होता है, क्योंकि कांग्रेसी उम्मीदवार को विजयी बनाने में चापलूसों का खासा जोर जो लगा।

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धढ़ेबंदी और लागबाजी के चलते पार्टी उम्मीदवार की बलि देकर विपक्ष को मजबूत बनाने वाले पार्टी के लिए कितना बड़ा खतरा हैं इसकी छोटी उदाहरण हाल ही में सामने आई, जब भाजपा के एक बड़े नेता जी के चापलूसों में से एक चापलूस ने अति उत्साह में एक कार्यक्रम में ये कह दिया कि भले ही प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है, मगर काम तो अब भी हमारे ही होंगे, क्योंकि जीतने वाला अपने दम पर ही नहीं जीत गया, आखिर उनका भी इसमें हाथ है।

अब उनके काम नहीं होंगे तो क्या भविष्य में उसे उनकी जरुरत नहीं पड़ेगी। अब आप खुद ही अंदाजा लगा लीजिये कि नेता जी ने कितने वफादारों को अपने व पार्टी के साथ जोड़ा हुआ है। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि अंदरखाते बड़े नेता एक दूसरे को काम कहें तो वे मना नहीं करते, परन्तु भरी महफिल में न तीन में न तेरहां में गिने जाने वाले चापलूस और भाजपा के वफादार होने का दिखावा करने वाले अगर ऐसी बातें करें तो पार्टी का भविष्य कैसा होगा। भाजपा की पंजाब में स्थिति के लिए जहां पार्टी के नेताओं की अंदरुनी खींचतान जिम्मेदार है वहीं ऐसे बड़बोले चापलूसों के कारण भी पार्टी की खिल्ली उडऩी स्वभाविक है।

राजनीतिक माहिरों की माने तो एक तरफ जहां होशियारपुर से संबंधित भाजपा के एक बड़े नेता की होशियारपुर से गैरहाजिरी व आम जनता से दूरी चर्चा का विषय बनी हुई है तथा उनके द्वारा होशियारपुर के विकास के लिए कोई बड़ा प्रोजैक्ट न ला पाने को लेकर भी जनता में उनके प्रति खासा मलाल है तो अब ऐसे चापलूसों और स्वार्थ सिद्धी वाले तथाकथित कार्यकर्ताओं के कारण भी भाजपा का अक्स धूमिल हो रहा है, जिसके बारे में पार्टी हाईकमान को सख्त से सख्त कदम उठाने होंगे।

ये बात तो सौलह आने सत्य है कि राजनीति में न तो कोई किसी का स्थायी मित्र होता है और न ही दुश्मन। मगर, जिस पार्टी से व्यक्ति जुड़ा हो उसके लिए वफादार रहना भी तो संस्कार व पार्टी मर्यादा नाम की कोई चीज होती है या नहीं। आज भी कई ऐसे लोग हैं जो जन्म व संस्कारों से जिस पार्टी से जुड़े हैं, कई प्रलोभन मिलने के बावजूद वे टस से मस नहीं होते तथा वही पार्टी की असली नींव कहे जा सकते हैं। परन्तु बदलते परिवेश में जहां लोगों ने अपना भेष और खानपान बदल दिया है उसी प्रकार कई ऐसे नेता हैं जो पार्टी में होते हुए उसके साथ वफादारी करना जरुरी नहीं समझते। उन्हें तो प्रिय है सिर्फ और सिर्फ अपने स्वार्थ और एक-दूसरे को नीचा दिखाने का मौका। जिसका खामियाजा पार्टी को भुगतना ही पड़ता है तथा जानते हुए भी न जाने क्यों ऐसे नेताओं व कार्यकर्ताओं को पार्टी में बनाए रखा जाता है।

राजनीतिक माहिरों की माने तो ऐसे लोग काफी शातिर होते हैं जो पार्टी के साथ नहीं बल्कि स्वार्थ सिद्धी के लिए नेताओं के साथ जुड़ते हैं। एक ने दुतकारा या कहना नहीं माना तो दूसरे के पास चले गए और दूसरे के बाद तीसरे के पास। और तो और वे विपक्षी नेताओं को विजयी बनाने के लिए पार्टी उम्मीदवार का विरोध ही नहीं करते बल्कि ओपनली पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त हो जाते हैं। जिसके चलते कई बार पार्टी उम्मीद को हार का मुंह भी देखना पड़ता है। जिसकी ताजा उदाहरणें पंजाब में विशेषत: होशियारपुर से बेहतर कहीं भी देखने को नहीं मिलती।

मगर, राजनीकि माहिरों के अनुसार ऐसे चापलूसों को बढ़ावा देने वाले नेता चापलूसों से अधिक पार्टी विरोधी समझे जाने चाहिए जो इन लोगों को बेवजह इतना संरक्षण देते हैं और अपना व पार्टी का नुकसान कर बैठते हैं।

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