भैरव बाबा का चिमटा खाने से नहीं होता बुखार

जम्मू/राजौरी (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: अनिल भारद्वाज। राजौरी शहर के जवाहर नगर क्षेत्र में हर वर्ष की तरह इस बार भी होली पर्व के उपलक्ष्य सात दिन तक चलने बाला होली उत्सव भैरव देव बाबा की झांकी के साथ आरंभ हुआ। होली पर्व को लेकर युवाओं में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। जो युवा जिले से बाहर या फिर अन्य राज्यों में काम करने के लिए गए थे, वे भी होली के अवसर पर अपने घरों में लौटने लगे हैं। राजौरी में भैरव देव (भैरो बाबा) की झांकी निकालने की परंपरा वर्षो पुरानी चल रही है। अब यह परंपरा के साथ-साथ युवाओं के लिए मनोरंजन का एक साधन भी बन चुकी है और लोग पूरा वर्ष भैरव देव की झांकी का इंतजार करते हैं। इस झांकी में हर महजब का व्यक्ति उत्साह के साथ भाग लेता है।

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होली के पर्व के मध्यनजर भैरव देव की झांकी में लोगों की भारी भीड़ देखने को मिली। शिव मंदिर जवाहर नगर से भैरव नाथ की झांकी दोपहर बाद निकाली गई। झांकी जिधर से भी निकली, उधर ढोल-नगाड़े की थाप पर नृत्य करते बाबा भैरव नाथ को देखने के लिए भीड़ लग जाती। शरीर पर काला रंग लगाए, माथे पर तिलक और हाथ में त्रिशूल लेकर भैरव देव बाबा ने नृत्य करते हुए लोगों का मनोरंजन किया। भैरव बाबा के हाथ से चिमटे की मार खाने और माथे पर टीका लगाने के लिए लोग में होड़ लगी देखी गई। बच्चे, युवा और बुजुर्ग बाबा भैरव के हाथ से चिमटे की मार खाने को बेताब दिखे।


राजौरी में होली के उपलक्ष्य पर सात दिन निकाली जाती है भैरव बाबा की झांकी, बाबा का नृत्य देखने उमड़े श्रद्धालु, उत्साह

छतों पर चढ़ कर महिलाओं व युवतियों ने भी भैरव नृत्य का आनंद उठाया। शिव मंदिर से निकल कर क्षेत्र के बाजार से होती हुई झांकी पीपल के पेड़ वाले मोड़ तक गई। वहां से वापस नृत्य करते हुए मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद शाम को कार्यक्रम समाप्त हुआ। भैरव नाथ की झांकी को लेकर क्षेत्र में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। पुलिस का कड़ा पहरा रहा। होली के उपलक्ष्य पर राजौरी में सात दिन तक भैरव देव बाबा की झांकी निकाली जाती है। अधिकारियों ने बताया कि इस झांकी की संवेदनशीलता व जनभागीदारी को ध्यान में रखते हुए उच्च स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है और भारी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है। नागरिक प्रशासन ने भी भैरव झांकी के सभी स्थानों पर मजिस्ट्रेट नियुक्त किए हैं, ताकि किसी भी अप्रिय घटना को समय से पहले रोका जा सके।
कैसे शुरू हुई यह परंपरा..
कहा जाता है कि जम्मू-कश्मीर का क्षेत्र राजौरी एक राजवाड़ा हुआ करता था। उस दौरान यहां पर काला बुखार फैला और काफी लोगों की इस बुखार से मौत हो गई। इसी दौरान एक साधु क्षेत्र के भ्रमण पर आया तो उसने लोगों से कहा कि होली के दिनों में व्यक्ति के शरीर पर काले रंग का लेप करके उसका नगर में भ्रमण करवाएं और उससे यह बीमारी खत्म हो जाएगी। उसके बाद से यह परंपरा चली आ रही है। होली के दिनों में भैरव देव की झांकी निकाली जाती है और आज भी हजारों की संख्या में लोग इस झांकी को देखने को लिए मौजूद रहते हैं। प्रसाद के रूप में खाते हैं भैरव देव की मार जिस व्यक्ति को भैरव देव का रूप धारण करवाया जाता है, उसके हाथ में लोहे का चिमटा दिया जाता है। भैरव देव का रूप धारण किया व्यक्ति लोगों के पीछे भागता है और जिस व्यक्ति को चिमटे की मार पड़ती है, वह इसे प्रसाद के तौर पर लेता है। यह भी कहा जाता है कि जिस व्यक्ति को भैरव देव से मार पड़ती है, उसे जीवन में कभी भी बुखार नहीं आता है।

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