होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। पुरानी कनक मंडी स्थित अहमदिया मुस्लिम मस्जिद में मुस्लिम भाई चारे ने बड़ी शान से ईद-उल-फि़तर का त्यौहार मनाया। रमज़ान के पूरे महीने में मुसलमान रोज़े रखकर अर्थात भूखे-प्यासे रहकर पूरा महीना अल्लाह की इबादत में गुज़ार देते हैं। इस पूरे महीने को अल्लाह की इबादत में गुज़ारकर जब वे रोज़ों से फ़ारिग हो जाते हैं तो चांद की पहली तारीख़ अर्थात जिस दिन चांद दिखाई देता है, उस रोज़ को छोडक़र दूसरे दिन ईद का त्योहार अर्थात बहुत ख़ुशी से मनाया जाता है। खुशी के इस दिन को ईद-उल-फि़तर कहते हैं। अहमदिय्या मस्जिद में इस त्यौहार के मौके पर भारी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ईद की नमाज़ मौलवी शेख मन्नान ने पढाई। नमाज़ के बाद ईद का खुतबा (अभिभाषण) दिया। जिसमे उन्होंने कहा की हमारी वास्तविक ईद और सच्ची खुशी इस बात में है कि हमारे समाज के दब्बे कुचले लोगों को भी अपने खुशी में शामिल करें। हजरत मोहम्मद साहब ने ईद के लिए आदेश दिया है कि जो लोग साधन-संपन्न हैं, उन्हें गरीब और जरूरतमंदों की सहायता करनी चाहिए।
ऐसी खुशी के क्या मायने, जब गरीब के पास खाने और पहनने के लिए कुछ न हो और अमीरों ने खुद के के लिए ऐश्वर्य के साधन जुटा लिए हों। रोज़ों की समाप्ति की खुशी के अलावा ईद में हमें अल्लाह का शुक्रिया अदा इसलिए भी करना चाहिए कि उन्होंने महीने भर रोज़े रखने की हिम्मत दी। उन्होंने कहा कि इस साल ईद भारत में फैली सांप्रदायिक हिंसा और मनमुटाव को खत्म करने में अहम रोल अदा करेगी। हमारा देश धार्मिक सौहार्द और अनेकता में एकता के लिए विश्वप्रसिद्ध है। ईद पर हमें आपसी कटुता भूलकर एक दुसरे के गले मिलना चाहिए।परमेश्वर की सभी संतानों की भलाई की प्रार्थना करनी चाहिए। उसके बाद मौलवी शेख़ मन्नान ने सबका अभिभादन करते हुये ईद की मुबारकबाद दी और विश्व शांति के लिए दुआ की। उसके बाद सभी ने एक दुसरे के गले मिले और ईद की मुबारकबाद दी। मस्जिद में स्त्रियों के लिए भी नमाज़ का प्रबंध किया गया था। इस मौके पर अन्य के व्यतीत सद्दाम हुसैन, समीर अली,अमजद, इब्राहिम, रुस्तम, रब्बान आदि शामिल हुए थे।