भ्रष्टाचार के चलते विकास कार्यों की रफ्तार धीमी, खामियाजा भुगत रही जनता: शहर निवासी

जालंधर (द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: अभिषेक। पिछले तीन दशक में शहर की सीमाएं बढ़ती चली गई हैं। शहर की सभी प्रमुख सड़कों पर नगर निगम की हद के बोर्ड दो से तीन किलोमीटर तक आगे बढ़ गए हैं। नेशनल हाईवे पर जालंधर की सीमाएं परागपुर को छू रही हैं तो मकसूदां, नकोदर रोड, कपूरथला रोड, होशियारपुर रोड और पठानकोट रोड पर भी निगम की हद आगे बढ़ गई हैं। इसके बाद भी आय में बढ़ोतरी नहीं हो रही है। इससे शहर का विकास प्रभावित हो रहा है। निगम की आमदनी कम और खर्च ज्यादा है। भ्रष्टाचार के चलते भी विकास कार्यों की रफ्तार धीमी गति से चल रही है।

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इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है।सिर्फ पांच साल पहले की बात करें तो नगर निगम की हद में 110 वर्ग किलोमीटर का इलाका था जो अब करीब 135 वर्ग किलोमीटर हो गया है। करीब साढ़े तीन साल पहले नगर निगम की हद में कैंट विधानसभा क्षेत्र के 11 गांव शामिल किए गए। नकोदर रोड पर एक गांव निगम की हद में आया है, लेकिन निगम को इसका कोई लाभ नहीं मिला। नगर निगम की आय में इजाफा नहीं हुआ, लेकिन खर्च इतने बढ़ गए हैं कि इन इलाकों में विकास करवाना भी मुश्किल हो गया है। इन इलाकों में बिना मंजूरी विकास होता रहा है।

कैंट क्षेत्र के गांवों में विकास कार्यों के लिए फिलहाल पंजाब सरकार से ग्रांट दी गई है, लेकिन इससे आगे की जिम्मेदारी निगम पर रहेगी। फिलहाल पिछले 15 सालों से आमदनी अठन्नी और खर्च रुपैया वाला हाल ही है नगर निगम का।कैंट के 11 गांव के इलाकों में रखरखाव, पानी की सप्लाई, जरूरी कार्यों के लिए निगम स्टाफ ही काम करेगा, लेकिन निगम के पास स्टाफ की कमी है। निगम को कैंट के नए इलाकों में लोगों की सुविधा के लिए नया जोन आफिस भी बनाना होगा। यहां पर सफाई सेवक भी देने होंगे। नई विकसित हो रही कालोनियों में कई काम करवाने होंगे।

इन नए इलाकों में सैकड़ों एकड़ खाली जमीन है, जहां पर आने वाले समय में कालोनियां विकसित होंगी। कई कालोनियों तो अब भी विकसित हो रही हैं, लेकिन यह सब गैरकानूनी तरीके से हो रहा है, इसलिए निगम को राजस्व नहीं मिल रहा।पूर्व सीनियर डिप्टी मेयर कमलजीत सिंह भाटिया का कहना है कि निगम को इन खाली इलाकों की मानिटरिंग करनी चाहिए। कोई भी कालोनी चोरी छुपे विकसित नहीं होती। इन इलाकों में बिल्डिंग ब्रांच के जो भी अफसर तैनात होते हैं, उनकी जिम्मेवारी तय की जाए। नए इलाके अपने साथ नई आय भी लेकर आते हैं, लेकिन यह अफसरों की जेब में चली जाती है।20 वर्षों में शहर तेजी के साथ विकसित हुआ है। खासकर नई कालोनियां बसने के बाद इसका विस्तार शहर के दोनों तरफ से हो गया है, लेकिन अव्यवस्थित रूप से किए गए विकास के चलते समस्याएं बढ़ गई हैं। इसमें सीवरेज जाम से लेकर खस्ता हालत सड़कें शामिल हैं।

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