किसानों को पराली के उचित प्रबंधन के लिए सब्सिडी वाली कृषि मशीनरी का लाभ लेने का आह्वान

जालंधर (द स्टैलर न्यूज़)। पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए डिप्टी कमिश्नर जसप्रीत सिंह ने पंजाब सरकार के फ़सल अवशेषों, ख़ासकर धान की पराली के उचित प्रबंधन के लिए सब्सिडी वाली कृषि मशीनरी का लाभ उठाने का आह्वान करते हुए कहा कि सब्सिडी वाली कृषि मशीनरी प्राप्त करने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, पंजाब के वेब-पोर्टल पर 15 अगस्त तक आवेदन किए जा सकते हैं। डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा सीआरएम योजना वर्ष 2022-23 के तहत धान की पराली के उचित प्रबंधन से सबंधित कृषि मशीनरी जैसे सुपर एसएमएस, हैप्पी सीडर, जीरो टिल ड्रिल, सुपर सीडर, रिवर्सिबल, हल, पैडी स्ट्रॉ चॉपर, श्रेडर, मल्चर, शरब मास्टर, रोटरी स्लेशर, क्रॉप रीपर, बेलर एवं रोक मशीन को सब्सिडी पर देने के लिए आवेदन की मांग की गई हैं। इच्छुक किसान, पंजीकृत किसान समूह, पंचायतें, सहकारी समितियां और किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) विभाग के वेब पोर्टल agrimachinerypb.com के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

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डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि आवेदन करते समय आवेदक के पास आधार कार्ड, पासपोर्ट साइज फोटो, सेल्फ डिक्लेरेशन लेटर, बैंक अकाउंट पासबुक, किसान समूह और सहकारी समिति का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट होना चाहिए। यदि आवेदन किसान समूह द्वारा किया जाना है तो सहकारी समिति, किसान उत्पादक संगठन, संयुक्त बैंक खाता पासबुक, पैन कार्ड, अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र (यदि किसान समूह अनुसूचित जाति का है) आदि की आवश्यकता है। इसके अलावा किसान समूह, सहकारी समिति, एफपीओ, सहकारी समिति के मुखिया और दो अन्य सदस्यों के आधार कार्ड नंबर आदि का विवरण भी पोर्टल पर दर्ज करना होता है।

जसप्रीत सिंह ने कहा कि पोर्टल पर पंजीकृत होने वाला मोबाइल नंबर सक्रिय होना चाहिए ताकि पोर्टल के माध्यम से समय-समय पर भेजे जाने वाले वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) या अन्य संदेश आवेदक को उस मोबाइल पर प्राप्त हो सकें। डीसी जसप्रीत सिंह ने जिले के किसानों से इस योजना का अधिक से अधिक लाभ उठाने का आग्रह किया ताकि पराली जलाने की प्रवृत्ति को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है और पृथ्वी की उर्वरता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार की तकनीकी या गैर-तकनीकी कठिनाई होने पर किसान अधिक जानकारी के लिए संबंधित कृषि अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।

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