श्री प्रताप धर्म प्रचारणी सभा ने किया मेघनाद-कुंभकरण वध नाटक का मंचन

कपूरथला (द स्टैलर न्यूज़), गौरव मढिय़ा। अफसोस मालूम नहीं था कि शक्ति भी बेकार जाएगी और आशा पर निराशा छा जाएगी। यह उदगार लंकापति रावण ने श्री प्रताप धर्म प्रचारणी रामलीला दशहरा कमेटी द्वारा मंगलवार की सायं देवी तालाब में व रात्रि को शालीमार बाग में मंचित नाटक मेघनाद-कुंभकरण वध नाटक में उस समय कहे जब रावण को पता चलता है कि लक्ष्मण की मुर्छा खुल गई है और मेघनाद द्वारा लक्ष्मण पर प्रयोग किया ब्रह्मास्त्र की शक्ति भी बेकार चली गई है। शालीमार में इस मंचित नाटक का उद्धघाटन जेपी अस्पताल के मालिक डा.  अतुल रत्न व उनकी धर्मपत्नी सहायक सिविल सर्जन डा. अनु रत्न ने किया।

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लंकापति रावण तदपश्चात अपने भाई कुंभकरण को निद्रा से जगाने की योजना बनाता है और सोचता है कि अगर उसका भाई कुंभकरण युद्ध भूमि में चला गया तो काल की तरह सब को खा जाएगा। अपनी इस योजना को अमली जामा पहनाने के लिए लंका नरेश रावण ढोल नगाड़ों व सैंकडों सैनिकों सहित कुंभकरण के निद्रा कक्ष में जाता है और कड़ी मेहनत के बाद कुंभकरण को उसकी कुंभकर्णी नींद से जगाने में सफल हो जाता है और कुंभकरण अपने बड़े भाई रावण की आज्ञा से युद्ध भूमि में सेना सहित जाता है। परंतु प्रभु श्री राम के हाथों मारा जाता है और जब लंकापति रावण को पता चलता है कि उसका भाई कुंभकरण भी युद्ध भूमि में मारा गया तो उसका हौंसला पस्त हो जाता है और कहता है कि अब हमारा राम सेना पर विजय पाना नामुमकिन है तो उसका पराक्रमी पुत्र मेघनाद अपने पिता का होंसला बढाता है और युद्ध भूमि में सेना की कमान संभालता है। लेकिन वह भी लक्ष्मण के हाथों मारा जाता है। इसके साथ ही उपस्थित श्रोतागण जय श्री राम के जयघोष करते है। रावण का अभिनय कलाकार पवन कालिया, प्रभु राम का किरदार विनय शर्मा, लक्ष्मण का अभिनय अंकुर व मेघनाद का किरदार मनीश ने अदा किया।

इस अवसर पर सभा के अध्यक्ष विनोद कालिया, कृष्ण लाल सर्राफ, कमलजीत सिंह, बिशंवर दास, रजिंदर वर्मा, सतीश शर्मा, सुरिंदर शर्मा, राजेश सूरी, दविंदर कालिया, मंगल सिंह, एडवोकेट पवन कालिया, गुलशन लुंबा, अश्वनी सूद, हरवंत  सिंह भंडारी, मोती लाल, जोगिंदर जेके, अशोक बवल, भूपिंदर सिंह, बावा पंडित, किशन दत्त शर्मा, रघु शर्मा, अक्षत कालिया व अन्य कलाकार मौजूद थे।

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