दरोगा जी का होटल प्रेम और डबल नजराना: बड़े साहिब इस कनैक्शन की भी जांच करवा लो

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होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। होशियारपुर में जहां राजनीतिक गलियारों में आए दिन किसी न किसी बात को लेकर चर्चाओं का बाजार पूरी तरह से गर्म रहता है वहीं इन दिनों एक दरोगा जी की कार्यप्रणाली खासी चर्चाओं में हैं। हो भी क्यों न भाई! इस ठंडी के मौसम में उनका होटल प्रेम जो सारे माहौल को गर्माये हुए है। चर्चा है कि मासिक नजराना बढ़ाने को लेकर दरोगा जी का गुस्सा सातवें आसमान पर है तथा बात न मानने वालों का हाल वही हो रहा है जो मंजूर-ए-दरोगा जी है।

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सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार ईमानदारी व चंद राजनेताओं के चहेता होने का मखौटा पहने एक दरोगा जी आए दिन किसी न किसी होटल में पहुंच कर दबिश देकर अपना दबदबा कायम करने की होड़ में हैं तथा उनके इलाके में कुछ ऐसे भी होटल हैं जो असर-रसूखदारों के हैं तथा उनकी तरफ टेढी आंख करके देखना भी दरोगा जी जरुरी नहीं समझते। जबकि सभी को पता है कि अधिकतर होटलों में क्या-क्या गुल खिलाए जाते हैं। परन्तु जो अड़ा सो झड़ा की कहावत पर दरोगा जी की नाराजगी मोल लेने वालों को कोर्ट कचहरी के चक्करों में कैसे फंसाया जाता है, दरोगा जी इन मामलों के माहिर जान पड़ते हैं। तभी तो वे दबिश दौरान पकड़े गए जोड़ों की उम्र और उनके पेशे तथा भविष्य को देखते हुए चेतावनी देकर छोडऩे की बजाए, झटपट केस दर्ज कर वाहवाही लूटने का कोई मौका नहीं छोड़ते। इतना ही नहीं अगर वे किसी केस को पकडऩे पर पत्रकारवार्ता भी करते हैं तो वहां पर गिने चुने पत्रकारों को बुलाकर वाहवाह लूट जनता में कानून का पहरेदार होने का ऐसा ढोंग रचते हैं कि माने पूरा विभाग उन्हीं के कंधों पर टिका हो।

सूत्रों की मानें तो हाल ही में कुछेक होटलों पर दरोगा जी ने दबिश दी। इसके बाद क्या-क्या चर्चाएं चल रही हैं जरा उनकी तरफ भी ध्यान केन्द्रित करते हैं। चर्चा है कि दरोगा जी ने जिन होटलों पर दबिश दी उनके मालिकों से पहले की तरह नजराना बसूला तथा बाद में कार्रवाई उपरांत एक बार फिर से मासिक नजराना डबल करने की मांग करते हुए खूब तड़ी दिखाई। यहां तक कि नजराना देने से मना करने पर काम कैसे करोगे मैं भी देखता हूं की धमकी भरे लहजे में बात भी कह डाली। अब सभी जानते हैं कि पुलिस की दबंगई और ऐसे अधिकारियों से दूर रहने में ही आम जनता व व्यवसायी भलाई समझते हैं। हो सकता है कि ये बात झूठ भी हो, परन्तु कहीं चिंगारी कोई सुलगती है तो ही धूआं उठता है, इस बात को भी हमें नजर अंदाज नहीं करना चाहिए। दो-तीन होटल मालिकों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि दरोगा जी अपनी वर्दी के रौब और कानून का डर दिखाकर दोगुणा मासिक नजराना मांग रहे हैं तथा न देने पर कार्रवाई का डर दिखाते हैं। हाल ही में त्यौहार के दिनों में पहले तो कार्रवाई की तथा बाद में बुलाकर नजराना ऐंठ लिया वो अलग से। उनका कहना है कि उपभोक्ता कानून के अनुसार कोई भी होटल वाला कमरा खाली होने पर 18 साल से ऊपर की उम्र वालों को रुम देने से मना नहीं कर सकता तथा वे होटल में आने वालों से उनका पहचान पत्र आदि लेने उपरांत ही उन्हें ठहरने की इजाजत देता है। परन्तु दरोगा जी मात्र नजराना बढ़ाने की मांग को लेकर कार्रवाई करके वाहवाह लूट रहे हैं तथा उन्हें व होटल में आने वालों को तंग परेशान किया जा रहा है।

प्राप्त जानकारी अनुसार दरोगा जी ने गत दिवस एक होटल पर रेड की तथा मामला भी दर्ज कर दिया। मगर, जब सारे मामले की जांच हुई तो अधिकतर आरोपी जांच में बेकसूर पाए गए तथा माननीय अदालत में केस की सुनवाई जारी है तथा उम्मीद व्यक्त की जा रही है कि सभी निर्दोश होकर बरी होंगे। अब सवाल ये है कि अगर दरोगा जी ईमानदारी के साथ काम कर रहे हैं तो फिर जांच में उनके द्वारा दर्शायी बातें गलत कैसे हो रही हैं और अगर वे ईमानदार होने का ढोंग रचते हुए मात्र नजराना बढ़ाने के लिए कार्रवाई को अमल में ला रहे हैं तो ऐसे अधिकारी को पब्लिक डीलिंग से दूर करने में ही कानून व विभाग की भलाई है।

वैसे एक बात और जो दरोगा जी को लेकर चर्चा में है कि जब उनसे सीनियर कई अधिकारी बैठे हैं तो उन्हें दरकिनार करके उक्त दरोगा जी को एक महत्वपूर्ण थाना सौंपने के पीछे आखिर क्या राज है। क्या उनके पीछे कोई राजनीतिक ताकत काम कर रही है या फिर विभाग का कमाऊ पूत होने के चलते उनकी कार्यप्रणाली को नजरअंदाज किया जा रहा है, ऐसे कई सवाल हैं जो दरोगा जी को लेकर चर्चाओं में हैं। अब देखना ये होगा कि विभाग तथा ऐसे दरोगाओं को राजनीतिक संरक्षण देने वाले क्या कदम उठाते हैं?

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