सौहार्द व समरसता का पर्व है होली: स्वामी श्री कमलानंद गिरि

हरिद्वार, (द स्टैलर न्यूज़), गौरव मढ़िया: श्री कल्याण कमल आश्रम हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 1008 महामंडलेश्वर स्वामी श्री कमलानंद गिरि जी महाराज ने होली पर्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जीवात्मा का प्रभु के साथ महाभाग की स्थिति में अवस्थित होकर परमात्मा के साथ मिलन ही यथार्थ की होली है। स्वामी कमलानंद जी ने कहा कि इसीलिए ही श्री कृष्ण रूपी आनंद सिंधु में साक्षात रुप से गोपियां अवगाहन करती हैं। महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद जी महाराज ने विशेष बातचीत में होली पर्व पर चर्चा करते हुए कहा कि जिस प्रकार भक्त शिरोमणि प्रह्लाद के समक्ष होलिका का प्रभाव निस्तेज रहा, उसी प्रकार पुण्य के समक्ष पाप और सत्य के समक्ष असत्य का अस्तित्व नहीं रहता।

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स्वामी जी ने बताया कि सतयुग में इसी दिन शिव ने कामदेव को भस्म करने के बाद रति को श्री कृष्ण के यहां कामदेव के जन्म होने का वरदान दिया था। इसीलिए होलिका बसंतोत्सव मनाया जाता है। उन्होंने दूसरा इतिहास बताया कि इसी दिन राजा पृथु ने राज्य के बच्चों की सुरक्षा के लिए राक्षसी ढूंढी को लकड़ी जलाकर आग से समाप्त कर दिया था। इसलिए भी होली का उत्सव मनाने का विधान है। प्राचीन मंदिरों में होली उत्सव से संबंधित विभिन्न प्रकार की मूर्तियों के चित्र अंकित पाए जाते हैं।

महामंडलेश्वर जी महाराज ने कहा कि होली का पर्व हिंदू धर्म के लोगों के अलावा अन्य धर्मों के लोग भी बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। होली की परंपरा है कि इस दिन शत्रु भी मित्र बन जाते हैं। आपसी लड़ाई को भूल जाते हैं, अमीर और गरीब के बीच की खाई भी होलिकोत्सव में दूर हो जाती है।

स्वामी जी ने कहा कि हम लोगों को होली आपसी सौहार्द बढ़ाने, वैमनस्यता को दूर करने एवं आपसी भाईचारा बढाने के लिए जरूर मनानी चाहिए और सौगंध उठानी चाहिए कि आज के बाद किसी से नफरत नहीं करेंगे। किसी के प्रति द्वेष की दुर्भावना नहीं रखेंगे। प्रतिशोध की भावना को सदा के लिए नष्ट करेंगे व आपस में एक दूसरे को प्रेम और प्यार से मिलेंगे। यदि हम लोग ऐसा नहीं करते हैं तो होली का पर्व मनाने में कोई आनन्द नहीं है।

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