भव सागर से पार जाने का मात्र एक ही साधन है श्रीमद् भागवत: श्री जगमोहन दत्त शास्त्री

होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़)रिपोर्ट: गुरजीत सोनू। श्रीमद् भागवत महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ में कथा व्यास श्री जगमोहन दत्त शास्त्री जी महाराज ने श्रीमद् भागवत महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ का रस पान करवाते हुए कहा की शारीर का रोग कथा सुनने से दूर नहीं होगा अगर सोचा जाए की मात्र कथा सुनने से ही रोग दूर हो जाते है तो जो मेरा सर दर्द रहता है वो आज तक ठीक क्यों नही हुआ भव सागर से पार जाने का मात्र एक ही साधन है वो है श्री मदभागवत कथा। उन्होंने कहा की हमारे भीतर के रोग हमे दिखते नही और अंदर ही अंदर बढ़ते जाते है जेसे लकड़ी हमें ऊपर से देखने में सुंदर दिखाई देती है परन्तु धिमक उसको अंदर से खोखला करती जाती है।

Advertisements

उन्होंने आगे की कथा में कहते हुए कहा की सूत जी महाराज हरी कथा सुनाने में और कृष्ण जी महाराज कथा को सुनने में आनद ले रहे थे, एक सुना करके आनन्द ले रहा है और एक सुन करके आनन्द ले रहा है वेद शास्त्रों की कथा करते और सुनते हुए अंत में सूत जी महाराज जी से कृष्ण जी ने कहा की कल्युग में अद्र्म और बराबर चलेगे लोग धर्म भी करेंगे और कर्म भी करेंगे। जितनी रूचि सत्य में रहेगी उतनी रूचि असत्य में भी रहेगी और धीरे-धीरे सत्य असत्य की तुलना में अद्र्म के प्रति असत्य के प्रति रूचि अदिक होती है एसी मानसिकता कलिकाल के जीवन में होती है।

इसमें लोगों का दोष नही कल्युग की स्थिति ही ऐसी है धर्म कर्म में रूचि उसी की रहेगी। भगवान के प्रति प्रेम भाव रहेगा की नहीं अपने ग्रंथो के प्रति समर्पण रहेगा की नहीं कलजुग की उल्ज्नो में उल्जा हुआ कलजुग का एक सामान्य जिव अपने जीवन का कल्याण केसे कर पायेगा। आज की कथा में भगवान श्री कृष्ण राधा के विवाह का मनमोहक दृश्य देखने योग्य था। कथा व्यास ने अपने भजन नाच लेन दे नी मैनू शाम दे विवाह विच व लख होण चाचियां ताईआ, मावा मावा हुंदिया ने गाकर आई हुई संगत को मंत्रमुग्ध किया।

इस मौके अंजनी कुमार शर्मा व संतोष शर्मा मुख्य यजमान उपस्थित हुए। इस अवसर पर मंदीप शर्मा, प्रमोद शर्मा, रवि शर्मा, विनोद शर्मा, संजीव वशिष्ट, पंकज शर्मा, राजेश गोयल, अलका शर्मा, धरमिंदर सिंह, रीतू, संतोष कुमारी राकेश कुमारी, सुरिंदर शर्मा, संजीव, मनमोहन, बाली जी, कांसलर रजनी डडवाल व रमेश डडवाल के इलावा अन्य श्रद्धालु उपस्थित हो कर मंगल आरती उपरांत आई हुई संगत को लंगर रूपी प्रसाद वितरित किया गया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here