प्रतिदिन करें योग रहें निरोग: योगाचार्य एन.के नाकड़ा

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। गौतम नगर ऊना रोड आश्रम में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से अपने स्वास्थ्य जाग्रति कार्यक्रम के अंतर्गत अंर्तराष्ट्रीययोग दिवस के उपलक्ष्य में स्वास्थ्य से संबंधित जागरूक करने के लिए योग शिविर का आयोजन किया गया। इस विलक्षण योग शिविर में योगाचार्य ऐन के नाकड़ा ने आए हुए श्रद्धालुओं को योगा करवाया ओर साथ में योगासन के द्वारा बीमारियों को कैसे दूर किया जाए इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी।

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नाकड़ा ने पातंजलि योग सूत्र के अनुसार साधकों को ताड़ासन, दण्डासन, कटिचक्रासन, अद्र्धचंद्रासन, द्विचक्रिकासन, भुजंगासन, नाड़ीशोधन, अनुलोम विलोम प्राणायाम इत्यादि का विधिवत् अभयास करवाते हुए इनके वैज्ञानिक पक्ष द्वारा दैहिक लाभों से परिचित भी करवाया। संस्थान की ओर से श्रीआशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी मीमांसा भारती व रुक्मणी भारती ने भारतीय संस्कृति की अमूल्य विधि योग की महानता से परिचित कराते हुए योग साधकों को बताया कि प्रत्येक राष्ट्र अपनी किसी ना किसी अमूल्य व उत्कृष्ट धरोहर से विश्व के मानस पटल पर अपनी विशेष पहचान बनाता है। परंतु यदि विश्व विरासत की बात की जाए तो गर्वोक्त भाव से यह कहा जा सकता है कि सम्पूर्ण विश्व में आर्यावर्त भारतीय योग मनीषियों द्वारा योग पद्धति को उत्कृष्ट विरासत के रूप में सर्व सम्मति से समग्र राष्ट्रों द्वारा अग्रगण्य स्वीकार किया गया है।वस्तुत:संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने प्रतिवर्ष 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का संकल्प पारित किया।

योग की रहस्यात्मक विवेचना पर प्रकाश डालते हुए साध्वी जी ने बताया कि आज मूलत: कुछ योगासनों और प्राणायामों को ही सम्पूर्ण योगपद्धति स्वीकार कर लिया जाता है,जब कि ऐसा नहीं है। योग शव्द संस्कृत की युज धातु से बना है। जिसकाअर्थ होता है जुडऩा। अर्थात हमारे तन, मनऔरआत्मा की एकात्म अवस्था ही योग है। महर्षि पातंजलि ने योग की परिभाषा देते हुए कहा है कि योग: चितवृतिनिरोध:अर्थात चित की वृतियों का निरोध ही योग है।

फिर ही ”योग:कर्मसुकौशलम” की अवधारणा सिद्ध होती है। स्वामी विवेकानंद जी भी राजयोग में महर्षि पतंजलि द्वारा बताए गए अष्टांग योग को सरल भाषा में लिखते हैं और अमेरिका इंग्लैंड सहित भारत की योग पद्धति को पूरे विश्व में फैला देते हैं, उन्होंने विदेशी लोगों को भारत की पुरातन सनातन संस्कृति से अवगत करवाया व विश्व को ये बताया कि हमारे पास विश्व को देने के लिए वह अध्यात्म की पूंजी है जिस के द्वारा ही दिव्य शांति प्राप्त हो सकती है। ध्यान देने योग्य है कि आज संस्थान की ओर से अपने आरोग्य प्रकल्प के अंतर्गत सम्पूर्ण विश्व में नि:शुल्क “विलक्षण स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन कर सर्वे सन्तु निरामया:की उक्ति को सिद्ध किया जा रहा है।

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