अमृतसर (द स्टैलर न्यूज़)। पूर्व मंत्री व वशिष्ठ नेता लक्ष्मीकांता चावला ने कहा कि कुछ राजनीतिक दल अपने वोट बैंक को तुष्ट करने के लिए समान नागरिक संहिता का विरोध करते हैं। अगर पूरे देश के लिए शेष सभी योजनाएं एक हो सकती हैं, भोजन की सुरक्षा, शिक्षा का अधिकार, संविधान के सामने सारे बराबर, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, महिलाओं के लिए कल्याणकारी योजनाएं अगर पूरे देश में एक जैसी चल रही हैं तो नागरिक कानून सभी के लिए एक जैसे क्यों न हों। देश का एक बहुत बड़ी जनसंख्या वाला समुदाय सिविल कानूनों के लिए अपने धर्म की ही बात करता है कि वे अपने धर्म के अनुसार नागरिक कानून मानेंगे, पर दंड संहिता के लिए वे भारतीय दंड संहिता को स्वीकार करते हैं, क्योंकि उनके धर्म के अनुसार कानून में तो कठोर दंड का प्रावधान है।
ईश निंदा पर भी मौत की सजा दी जा सकती है और वहां तो अदालतों का कोई महत्व ही नहीं रहता। यह अपना ही देश है, जहां कन्हैया का सिर काट कर टुकड़े टुकड़े करने वालों को भी अदालत के सामने पेश किया जा रहा है और उसका निर्णय अदालत करेगी, कोई धर्म गुरु नहीं। इसलिए देश के सभी राष्ट्रभक्त लोगों को राजनीतिक गुटबाजी से ऊपर उठकर समान नागरिक संहिता का समर्थन करना चाहिए। यह खुशी की बात है कि आप पार्टी ने सैद्धांतिक रूप से और शिवसेना ने पूर्ण रूप से समान नागरिक संहिता का समर्थन किया है। देश के करोड़ों जागरूक नागरिकों से अपील है कि वे भारत सरकार को मिलकर आग्रह करें कि देश का एक कानून किया जाए। जैसे दंड संहिता वैसे ही नागरिक संहिता।