बाधाएं हमे नीचे नहीं बल्कि हमे ऊपर उठातीं हैं और मन का भय दूर करती हैं: साध्वी रुक्मणि भारती

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: गुरजीत सोनू। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा स्थानीय आश्रम गौतम नगर में एक धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी रुक्मणि भारती जी ने अपने प्रवचनों में कहा कि सतगुरु भी उस सूर्य के समान है। जो अंधकार में डूबे मानवों को ज्ञान से प्रकाशित कर देते हैं जिस तरह सूर्य के उदय होने पर सारा संसार सक्रिय हो जाता है। सभी मार्ग सही से दिखने लगते हैं उसी प्रकार गुरु रूपी सूर्य से भी भटक रहा मानव को सही दिशा मिल जाती है। आगे साध्वी जी ने इंडोनेशिया के पहले प्रेसिडेंट सुकर्णो के जीवन की कहानी सुनायी। इंडोनेशिया में एक लडक़ा एक दिन अचानक हठ कर बैठा कि वह स्कूल नहीं जाएगा। वह अपने माता-पिता से लगातार कहे जा रहा था-आज मैं स्कूल नहीं जाऊंगा। पिता ने बड़े प्यार से लडक़े को बुलाया और उससे पूछा, ‘बेटा, आखिर क्या बात है जो बार-बार स्कूल नहीं जाने की बात कर रहे हो?’ बच्चे ने पिता से कहा, ‘इस नए स्कूल में सब मेरा मजाक उड़ाते हैं।

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पिता ने समझाया- इसमें कौन सी नई बात है, कुछ समय बाद वे तुमसे घुल-मिल जाएंगे और तुम्हारे दोस्त बन जाएंगे। बच्चा जिद पर अड़ा रहा, ‘कुछ भी हो, मैं स्कूल नहीं जाऊंगा। पिता ने अपने एक मित्र को यह समस्या बताई। उस लडक़े के पिता के मित्र उसे पानी के एक झरने के पास ले गए। उन्होंने एक बड़ा सा पत्थर, झरने के बीच में फेंक दिया और कहा, ‘यह पत्थर पानी के बहाव में रुकावट डाल देगा। कुछ क्षणों के लिए पानी का बहाव रुक गया। लेकिन थोड़ी देर में पीछे से आ रहा पानी जमा हो गया और झरना फिर अपनी गति से बहने लगा। पत्थर पानी में डूब गया। इस पर उस शख्स ने लडक़े से कहा, ‘बेटा, किसी भी प्रकार की रुकावट और बाधाओं से घबराना नहीं चाहिए। देखो पानी भी रुकावट पर विजय पाकर आगे बढ़ रहा है। फिर तुम तो मनुष्य हो। बाधाओं से क्यों घबराते हो?’ लडक़े को बात समझ में आ गई। उसने अगले दिन से स्कूल जाना शुरू कर दिया। कुछ दिनों में उसके सहपाठी मित्र बन गए। इस लडक़े का नाम सुकर्णो था। यही सुकर्णो आगे चलकर देश की स्वतंत्रता मे लगा रहा और अपने देश इंडोनेशिया के राष्ट्रपति बना। अंत में साध्वी जी ने कहा कि जिंदगी में आने वाली सभी बाधाएं समयानुसार अपने आप दूर हो जाती है, हमें इससे हतोत्साहित नहीं होना चाहिए। हमे भी जीवन मे आने वाली रुकावटों का सामना करना पड़ेगा, बाधाएं। हमें नीचे नहीं बल्कि हमे ऊपर उठातीं हैं और मन का भय दूर करती हैं।

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