ब्लड कैंप में रक्त एकत्रित करते समय व ब्लड सैंटर से मरीजों के लिए खून देेेते समय निर्धारित नियमों का पालन न करना गैरकानूनी व अनैतिक : डा. बग्गा

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। खूनदान कैम्प में रक्त एकत्रितकरतेसमय व बाद में ब्लड सैंटरसे खून देते समय सरकार द्वारा निर्धारित नियमों का पालन न करना गैरकानूनी एवं अनैतिक कृत्य है। इंडियन सोसायटी आफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन एवं इम्यूनोहेमेटालोजी के पंजाब चैप्टर के पैट्रन डा. अजय बग्गा ने जारी प्रैस विज्ञप्ति में कहा कि ब्लड डोनेशन कैम्प डाक्टर की उपस्थिति में साफ-सुथरेव मच्छर-मक्खी रहितवातावरण में लगाने चाहिएं। प्रत्येक रक्तदानी की विधिवत जांच करने के पश्चात् सेहतमंद व्यक्ति जिसकी आयु 18 से 65 वर्ष के बीच में हो, जिसके रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा 12.5 ग्राम से अधिक हो व भार 45 कि.ग्रा. से अधिक हो से ही रक्त लिया जा सकता है। एकत्रित रक्त को जांच के पश्चात् ही किसी रोगी को ट्रांसफ्यूजन हेतु भेजा जाता है।

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रक्तदान के पश्चात् यदि किसी व्यक्ति के खून में हेपाटाइटसबी, सी, एच.आई.वी. का वायरस मौजूद हो तो रक्त ट्रांसफ्यूजन के लिए नहीं दिया जा सकता। इसके अतिरिक्त मलेरिया, सिफलिस इत्यादि की पुष्टी पर भी रक्त रोगी को ट्रांसफ्यूजन हीं किया जा सकता। प्रत्येक ब्लड सैंटर को अपने परिसर में ही खून से सम्बंधित सभी टैस्टों की जांच करनी होती है। यदि जांच के पश्चात् गुणवत्ता की दृष्टिसे खून ठीक पायाजाए तोरक्तदाता का खून मरीज के खून के साथ क्रास मैच करने के बाद ही ट्रांसफ्यूजन के लिए भेजा जाता है। कोई भी ब्लड सैंटर अपने परिसर के बाहर जाकर क्रास मैच इत्यादि भी नहीं कर सकता। रक्त की गुणवत्ता के लिए किए गए टैस्टों की फीसके अतिरिक्त कोई भी अन्य फीस ब्लड सैंटर द्वारा नहीं ली जा सकती। सेन्चुरियन ब्लड डोनर डा. अजय बग्गा ने यह भी कहा कि प्रत्येक ब्लड सैंटर को खून के टैस्ट एलिसा तकनीक द्वारा ही करने आवश्यक हैं। यदि कोई सैंटर निर्धारित नियमों का उल्लंघन करता है तो स्वास्थ्य विभाग के सक्षम अधिकारियों व ड्रग इंस्पैक्टर द्वारा ब्लड सैंटर का लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।

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