हमीरपुर (द स्टैलर न्यूज़), रजनीश शर्मा । मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की राजनीति भी हमेशा सुर्खियों में रही है। उनके फैसलों में बेशक कई बार देरी होती है लेकिन कई बार यही देरी कांग्रेस की गुटबाजी को जगजाहिर भी कर देती है। सीएम सुक्खू ने सत्ता में एक साल पूरा होते ही 12 दिसंबर को अपने मंत्रिमंडल में दो मंत्रियों को राज्यपाल से मंत्रीपद की शपथ दिला दी। जिला बिलासपुर के घुमारवी से कांग्रेस विधायक व कांग्रेस के सर्वेसर्वा राहुल गांधी के करीबी राजेश धर्माणी और कांगड़ा के जयसिंह पुर से यादविंद्र गोमा को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। जाहिर सी बात है कि जो भी कुछ हआ होगा वह कांग्रेस आलकमान की सहमति से ही हुआ होगा।
लेकिन आज पंद्रह दिन बीत जाने के बाद भी सुक्खू उन्हें विभाग नहीं बांट पाए हैं। यह अपने आप में इतिहास बन गया हैं। बिना विभाग के मंत्री बनने से इन दोनों मंत्रियों की अपने इलाकों में तो फजीहत हो ही रही है साथ ही सरकार और कांग्रेस आलाकमान के निर्णयों पर भी कांग्रेस के अंदर ही सुगबुगाहट देखने को मिल रही है। कांग्रेस सत्ता में है , इस लिए कोई कांग्रेसी खुलकर बोलने को तैयार नहीं लेकिन खुसर फुसर की आहट हर चौराहे पर मिल ही जाती है। मंत्रियों को विभागों का आवंटन न होने से प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी राजीव शुक्ला भी कटघरे में हैं। उनकी जिम्मेदारी है कि वह स्थिति को संभाले। यही नहीं धर्मशाला में विधानसभा का शीतकालीन सत्र भी हो चुका हैं। वहां भी ये दोनों मंत्री बिना विभाग के सदन में बैठे रहे। कम से कम 1990 के बाद याद नहीं है कि सदन में कोई मंत्री बिना विभाग के शामिल हुआ हो।
संभवत: ऐसा न तो शांता-वीरभद्र के शासन में हुआ और न ही धूमल -जयराम के कार्याकाल में ऐसा हुआ। इतने लंबे समय तक कोई मंत्री बिना विभाग के नहीं रहा । कहा जा रहा है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार ऐसे ही नहीं हुई । कांग्रेस नेताओं की ओर से खुद अपने पांवों पर कुल्हाड़ी मारी जाती रही हैं। वह आत्ममुग्धता की पराकाष्ठाओं के पार चले जाते हैं और उन्हें पता ही नहीं होता कि उनके पांवों के नीचे से जमीन खिसकती जा रही हैं। नगर निगम सोलन में तो कांड हो ही चुका हैं। ऐसे में दो बिना विभाग के मंत्री अभी तक तो सरकारी खजाने पर बोझ ही बने हुए हैं क्योंकि उनके पास काम ही नहीं है।