गुरु का प्रेम एक ऐसा दिव्य वृक्ष, जिस पर आध्यात्मिक आनंद के फल उगते हैं: साध्वी कृष्णा भारती

होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: गुरजीत सोनू। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा संस्थान के स्थानीय आश्रम गौतम नगर होशियारपुर में सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमे सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी कृष्णा भारती जी ने गुरु और शिष्य के दिव्य प्रेम पर प्रवचन करते हुए कहा कि गुरु का प्रेम एक ऐसा दिव्य वृक्ष है जिस पर आध्यात्मिक आनंद के फल उगते हैं। सेवक के हृदय में गुरु का प्रेम एक उत्सव है, उसके जीवन का सार है। जिसके हृदय रूपी जलाशय में प्रेम के कमल खिलते हैं, वहां सदैव वसंत रहता है। शायद इसीलिए कहा जाता है कि गुरु भक्त के जीवन में हमेशा बहार रहती है। गुरुभक्ति से सराबोर चेहरा और गुरुप्रेम से परिपूर्ण तन-मन ही सेवक की असली पहचान है।

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जिस सेवक के हृदय में गुरु के प्रति प्रेम होगा, उसमें पवित्रता आदि गुण स्वत: ही निवास करेंगे। लेकिन जिसके हृदय में संसार के प्रति आसक्ति होती है, उसमें जीने और सहन करने के गुण भी लुप्त हो जाते हैं, क्योंकि आसक्ति से ही सभी प्रकार की अशुद्धियाँ उत्पन्न होती हैं। इसीलिए कहा गया है कि प्रेम अमृत है और मोह ज़हर से भी अधिक भयानक द्य अंत में उन्होंने कहा कि हमे गुरु द्वारा बताए मार्ग पर निरन्तर चलना होगा तभी हम मंजिल को प्राप्त करेंगे। क्योंकि जिस प्रकार एक नदी तभी तक पवित्र है जब तक वह बहती रहती है। दूसरी ओर, तालाब में पानी नहीं बहता इसलिए वह गंदा हो जाता है। अत: पवित्रता और पवित्रता वहीं है जहाँ प्रवाह है। कोई प्रवास नहीं मोह एक ऐसी आसक्ति है जो किसी भी व्यक्ति, वस्तु और स्थान पर टिक जाती है, लेकिन प्रेम एक निरंतर प्रवाह है जो हमें हमेशा जीवित और स्वस्थ रखता है।

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