भगवान हमारी अंतरात्मा को जानते: आचार्य चंद्र मोहन

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। योग भवन डिगना रोड पर मनाया जा रहा चार दिवसीय योगेश्वर प्रभु राम लाल जन्मोत्सव आज श्रद्धा पूर्वक सम्पन्न हो गया। हवन आरती के उपरांत श्रद्धालुओ का मार्ग दर्शन करते हुए मुख्य आचार्य चंद्र मोहन जी ने कहा कि भगवान हमारी अंतरात्मा को जानते हैं। गीता का एक वचन है कि कोशिश करो तांकि हमारी आत्मा का उद्धार हो। योगाचार्य सदगुरुदेव चमन लाल जी कहा करते थे कि हम गुरु के पास जाते हैं तो मुख्य उद्देश्य आत्मा का उद्धार करना होता है। आत्मा हमारे जीवन का आधार है। आत्मा के आने से जीवन बनता है। आत्मा निराकार है।जब आत्मा आती है तो उसको एक शरीर मिलता है। आत्मा का आधार अंतरात्मा तथा सूक्ष्म शरीर है।

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बिना आधार के जीवन कैसे बनेगा। सूक्ष्म शरीर जिसने आत्मा को स्थान दिया है वह कहा रहता है। जीवन तीन चीजों का बना है। एक जीवात्मा, दूसरा सूक्ष्म शरीर, तीसरा स्थूल शरीर। यह एक गाड़ी की तरह है। जिसे मंजिल तक पहुंचना है। हमारा शरीर एक नौका के समान है। यदि इस नोका में छेद हो गए तो सर्वनाश निश्चित है। इसको ठीक करने के लिए हठयोग है। हठयोग की विद्या का कोई मुकाबला नहीं है। अगर आत्मा का उद्धार करना है तो इस नोका को संभाल कर रखना होगा तांकि यह टूटने ना पाए। ना इसमें कोई ऐसा दोष आए कि यह चल ही ना पाए। यह दोष तीन प्रकार के होते हैं वात पित्त और कफ। इनको आम आदमी भी समझ सकता है।

शरीर तो यही रह जाता है। लेकिन आत्मा सफर करती रहती है। सूक्ष्म शरीर में चार चीज हैं मन, बुद्धि चित, अहंकार, मन उस शरीर की शक्ति है। बुद्धि उसे दिशा देती है। लेकिन इन चीजों को जानने के लिए गुरु के पास जाना पड़ता है। गुरु बताते हैं कि किस रास्ते पर चलना है। मन एक ऐसी चीज है जो हर वक्त काम करता है। मन को कंट्रोल करना जरूरी है। कहीं यह गलत रास्ते पर ना चला जाए। हमारा लक्ष्य मोक्ष प्राप्त करना है। गुरु कहते हैं कि मेरे पास सांसारिक चीज मांगने मत आओ। वह तो मोक्ष का रास्ता बताते हैं। 

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