सिविल अस्पताल: गर्भवती महिला की हालत बिगडऩे पर हंगामा, स्टाफ ने पत्रकारों से किया दुरुव्यवहार

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। होशियारपुर के सिविल अस्पताल में गायनी वार्ड में अधिकतर स्टाफ सदस्यों द्वारा मरीज व उसके परिजनों के साथ बुरा व्यवहार किए जाने के मामले अकसर ही सुर्खियों में रहते हैं। बावजूद इसके अस्पताल में किसी तरह के सुधार किए जाने जरुरी नहीं समझे जा रहे। जिसके चलते आए दिन गर्भवती महिलाओं के साथ-साथ उनके साथ आए लोगों को भी खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

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ताजा वाक्या में सिविल अस्पताल के गायनी वार्ड में आज 25 फरवरी को देर सायं करीब साढे-7 बजे के बीच उस समय हंगामा हो गया जब एक गर्भवती महिला को खून चढ़ाए जाने के बाद उसके शरीर पर लाल धब्बे पडऩे शुरु हो गए। शरीर पर लाल धब्बे देखकर गर्भवती महिला व उसके परिजन घबरा गए और जब उन्होंने मौके पर मौजूद स्टाफ से बात की तो उन्होंने कहा कि वे अपना मरीज अमृतसर ले जाएं उनके पास ईलाज नहीं है। इतना सुनते ही परिजनों के होश खाफ्ता हो गए कि कहीं कोई अनहोनि न हो जाए।
स्टाफ द्वारा सहयोग न किए जाने से घबराए मरीज के परिजनों ने जब मीडिया कर्मियों को इसकी सूचना दी तो मीडिया कर्मी मामले की रिपोर्ट लेने के लिए अस्पताल पहुंच गए। अभी मीडिया कर्मी मरीज की फोटो ही खींच रहे थे कि वहां मौजूद स्टाफ ने दुरुव्यवहार करते हुए कैमरा बंद करने की नसीहत तक दे डाली। जिस पर मामला बिगड़ गया और मीडिया कर्मियों द्वारा जब मामला उच्चाधिकारियों के ध्यान में लाने की बात कही गई तो स्टाफ के रुख बदल गए।

जानकारी देते हुए गांव फलाही निवासी मनदीप कुमार ने बताया कि उसने अपनी पत्नी बख्शो की डिलीवरी के लिए सरकारी अस्पताल होशियारपुर में वीरवार को दाखिल करवाया था। यहां पर जांच करने पर मालूम पड़ा की बख्शो के शरीर में 7.2 ग्राम खून है। इस पर उसे बताया गया की कि डिलीवरी के वक्त रक्त की जरुरत पड़ेगी। उसने सरकारी अस्पताल से ही रक्त का प्रबंध किया। एक यूनिट रक्त शनिवार को चढ़ाया गया। इसके बाद फिर उसे कहा गया कि एक यूनिट रक्त की जरुरत और पड़ेगी। इस पर वह फिर से रक्त लेकर आया। रविवार को सुबह 11 बजे वह रक्त लेकर आया था, लेकिन यह बात कहते हुए रक्त नहीं चढ़ाया की कि अभी रक्त ठंडा है व इसे नार्मल करना होगा। करीब एक घंटे बाद उसकी पत्नी बख्शो को रक्त चढ़ाया गया। रक्त चढ़ाने के कुछ ही देर बाद उसके शरीर पर लाल रंग के निशान पडऩे लगे और तबीयत खराब हो गई। इस पर डाक्टर ने उसे कहा कि अब इसे अमृतसर रैफर करना होगा। मनदीप ने बताया कि जब उसने यह दुहाई दी कि वह गरीब आदमी उसे कहां लेकर जाएगा तो उसे जवाब मिला की कि यह देखना आपका काम है। उसने बताया कि मरीज को क्या हुआ के बारे में पूछने पर कोई भी सही ढंग से जवाब नहीं दे रहा था। इतना ही नहीं जब से वह अपनी पत्नी को लेकर अस्पताल आया है ईलाज की तरफ पूरी तरह से ध्यान नहीं दिया जा रहा है। उसने कथित तौर पर आरोप लगाया कि अस्पताल स्टाफ पूरी तरह से लापरवाही के साथ ड्यूटी करता है और मरीज व उसके परिजनों की कोई सुनवाई नहीं है।

इसी बीच अस्पताल पहुंचे श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के अध्यक्ष लक्की ठाकुर ने कहा कि अस्पताल स्टाफ को मरीज व उसके परिजनों के साथ प्रेमपूर्वक पेश आना चाहिए, मगर दुख की बात है कि मैडीकली समस्या क्या है समझाने की बजाए स्टाफ का सीधे मुंह बात भी न करना मरीज के लिए परेशानी सा सबब बन जाता है। उन्होंने कहा कि उक्त मरीज को एक यूनिट उन्होंने उपलब्ध करवाकर दिया था तथा जरुरत पडऩे पर और ब्लड मुहैया करवाया जाएगा। मगर, बिना कोई कारण बताए मरीज को रैफर करने की बात कह देने से कोई भी परेशान हो सकता है। इसी दौरान लायन विजय अरोड़ा ने भी मौके पर पहुंच कर मरीज के परिजनों व स्टाफ के व्यवहार से भडक़े पत्रकारों को शांत किया तथा स्टाफ ने बात बिगड़ती देख मैडीकली बात को समझाने में बेहतरी समझी। इसी बीच मरीज की हालत में थोड़ा सुधार होता देख सभी का गुस्सा शांत हुआ और स्टाफ ने मरीज का ईलाज अस्पताल में ही करने की बात कही।

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