नशा अमृत वेले विकुगा इलाके च, ते कानून दी मजाल भला की

page 1 copy-कुछेक होटल व रेस्तरां में नियमों को ताक पर रख अंडर ऐज युवाओं को परोसी जाती है शराब-समय सारिणी को ठेंगा दिखा खुल रहे ठेके-
संदीप डोगरा, होशियारपुर-नशे की रोकथाम के लिए भले ही भांत-भांत के दावे किए जाते हों, मगर अफसोस की बात है कि चंद दिन सुर्खियों में रहने के बाद नेता और समाज सेवी अचानक पता नहीं कहां गायब हो जाते हैं कि उन्हें समय सारिणी को ठेंगा दिखा खुलने वाली शराब की दुकानें नजर आनी बंद हो जाती हैं। भले ही प्रदेश में एक संस्था द्वारा नशे के खिलाफ शुरु की गई मुहिम के दौरान ठेकों के समय से पहले खुलने का मामला ध्यान में आने के बाद एक सांसद द्वारा मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस संबंध में कार्रवाई के निर्देश जारी करने का प्रयास किया गया। इसका नतीजा यह हुआ कि मुख्यमंत्री के आदेशों पर संबंधित विभाग ने प्रदेश में कुछेक जगहों पर कार्रवाई को अंजाम भी दिया और समय का उलंघन करने वाले ठेकों के चालान भी काटे गए। परन्तु सरकार की इस कार्रवाई का असर होशियारपुर क्षेत्र में कम ही देखने को मिल रहा है। यहां पर एक तरफ जहां कुछेक स्थानों पर ठेके समय सारिणी को ठेंगा दिखा खोले जा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ कुछेक रेस्तरां ऐसे हैं जहां पर अंडर ऐज युवाओं को शराब परोसने से परहेज नहीं किया जा रहा। हालांकि सरकार द्वारा एक्साइज एडं टैक्सेशन एक्ट-1914 के तहत 18 वर्ष से कम आयु के युवाओं को शराब की बिक्री करना व परोसना मना है। परन्तु शहर व आसपास के क्षेत्र में चलने वाली शराब की दुकानों पर अकसर इस नियम का उलंघन देखा जा सकता है। शराब लेने आए युवक से वहां बैठे कर्मियों ने शायद ही कभी इस बात की तरफ ध्यान देना जरुरी समझा हो या फिर शराब के ठेकेदारों ने इसे लेकर कोई हिदायत का पालन किया हो। सूत्रों की माने तो अधिकतर ठेकेदारों का कहना है कि उन्होंने सरकार को मुंह मांगी कीमत देकर शराब के ठेके लिए हैं, अब उन्हें पैसा पूरा करने से कोई नहीं रोक सकता। इतना ही नहीं सूत्रों की माने तो ठेकेदारों का कहना है कि संबंधित विभाग के सारे काम भी उन्हें ही करने पड़ते हैं, मसलन अवैध तौर पर शराब का कारोबार करने वालों को रोकना इत्यादि। परन्तु वे खुद नियमों का कितना पालन करते हैं शायद ही उन्होंने इस बात की तरफ कोई ध्यान देना जरुरी समझा हो। चंद ठेकेदारों की बातों और सूत्रों से मिली जानकारी से लगता है कि दाल में कहीं न कहीं काला जरुर है। जिसके चलते नशे के इस दरिया को रोकने में सभी कोशिशें सफलता की सीढ़ी नहीं चढ़ पा रही हैं। समाज सेवा के लिए रोज सुबह अस्पताल जाने वाली एक संस्था के सदस्यों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उन्हें यह देख कर बहुत दुख पहुंचता है कि दूध की दुकानें खुलने से पहले ही शहर में कई स्थानों पर ठेके खुल जाते हैं और कुछेक होटलों व रेस्तरां में छोटे-छोटे बच्चों को भी शराब परोसने से परहेज नहीं किया जा रहा है। जिसके चलते आने वाली हमारी नस्लें कैसी होंगी इसका अंदाजा सहज ही लगाया ज सकता है।
इस संबंध में बात करने पर सहायक कमिशनर एक्साइज एवं टैक्सेशन दरवीर राज का कहना है समय सारिणी का पालन करवाने के लिए विभाग प्रयासरत है तथा स्थिति में पहले से काफी सुधार आया है। अगर फिर भी कहीं नियमों का उलंघन हो रहा है तो चैकिंग तेज की जाएगी व उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया जाएगा। इसके अलावा अंडर ऐज युवाओं को शराब परोसने वाले रेस्तरां व होटल वालों को भी नसीहत की जाएगी वे ऐसा न करें, बावजूद इसके अगर कोई नियमों का पालन नहीं करता तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई को अंजाम दिया जाएगा।

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