बिना इंटरव्यू बैक डोर से रखे जा रहे डॉक्टर, मैडिकल ऑफिसर्ज एसोसिएशन ने उठाया मुद्दा

हमीरपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोट: रजनीश शर्मा। हिमाचल प्रदेश के नए मैडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों की भर्ती प्रक्रिया सवालों के घेरे में आ गई है। हिमाचल प्रदेश मैडिकल ऑफिसर्ज एसोसिएशन ने इस बारे में बुधवार को हमीरपुर में बैठक कर प्रदेश सरकार से शिकायत की है। जानकारी के मुताबिक प्रदेश के नए मैडिकल कॉलेजों में जो डॉक्टर रखे जा रहे हैं उनका इंटरव्यू ही नहीं लिया जा रहा है। यानी जो भी डॉक्टरों की नियुक्ति हो रही है उनके रिज्यूम देखकर ही मैडिकल कॉलेजों में खाली पद भरे जा रहे हैं। इसको लेकर मैडिकल ऑफिसर एसोसिएशन ने अपने तेवर कड़े कर दिए हैं।

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पूर्व सरकार द्वारा प्रदेश में नए मैडिकन कॉलेजों को चलाने के लिए पत्र संख्या नंबर एचएफडब्लू-बी बी-4-8/2014 के तहत सितंबर 2017 में ये आदेश जारी किए थे कि नए मैडिकल स्टाफ की नियुक्ति आउटसोर्स के हिसाब से की जाए।

मैडिकल ऑफिसर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. जीवानंद चौहान ने बताया कि ऐसी प्रक्रिया से मैडिकल कॉलेजों को बेहतर डॉक्टर मिलना मुश्किल हैं। उन्होंने कहा कि साक्षात्कार के बगैर डॉक्टरों को रखे जाने से कॉलेजों में चिकित्सकों की बैक डोर एंट्री की जा रही है। ऐसा करने से एमबीबीएस, पोस्टग्रेज्युएट, गोल्ड मेडल और रिसर्च पेपर की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले डॉक्टरों को नए मेडिकल कॉलेजों में एंट्री न मिलने पर सवाल उठ रहे हैं ।

साक्षात्कार नहीं होने से योग्य डॉक्टर का चयन होना मुश्किल है। वहीं हिमाचल प्रदेश मैडिकल ऑफिसर्ज एसोसिएशन के महासचिव डाक्टर पुष्पेंद्र वर्मा का कहना है कि देश के नामी संस्थान पीजीआई से कोई डॉक्टर प्रदेश के मैडिकल कॉलेज में ज्वाइन करना चाहता है तो ऐसी व्यवस्था के चलते सम्भव नहीं। इस बैकडोर एंट्री से प्रदेश में नए खुले मैडिकल कॉलेज गुणवत्ता से वंचित हो रहे हैं। उन्होंने माँग की कि डीपीसी पॉलिसी के तहत प्रदेश के अस्पतालों से योग्य डाक्टरों को मैडिकल कॉलेज में तैनाती मिले। नए डाक्टरों की नियुक्ति कॉंट्रैक्ट पर न कर नियमित तौर पर होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस बारे में स्वास्थ्य मंत्री एवं निदेशक स्वास्थ्य सेवाएँ से मिलकर मुद्दा उठाया जाएगा।

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