चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। देशभर में खसरे को जड़ से खत्म करने और रुबेला की रोकथाम के लिए पंजाब सरकार 1 मई 2018 से खसरे और रुबेला के खि़लाफ़ राज्य व्यापी टीकाकरण मुहिम शुरू करने जा रही है। यह खुलासा करते हुए आज यहां स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री ब्रह्म मोहिद्रा ने बताया कि एमआर टीकाकरण मुहिम देशभर में 13 राज्यों के 7 से 8 करोड़ बच्चों का टीकाकारण के द्वारा सुरक्षित कर चुकी है और चौथे पड़ाव में पंजाब में यह मुहिम चलाई जायेगी। इस मुहिम के अंतर्गत राज्य में 4 से 6 महीनों के समय में 9 महीने से 15 साल तक की उम्र के करीब 75 लाख बच्चों का टीकाकरण किया जायेगा। उन्होंने बताया कि पहले इस स्कीम के अधीन स्कूलों को लिया जायेगा और बाद में दूर-दराज के सेहत केन्द्रों में यह स्कीम चलाई जायेगी।
-राज्य के 29000 स्कूलों में इस टीकाकरण अभियान की सफलता के लिए स्वास्थ्य कर्मियों की 5200 टीमें और 1733 सुपरवाइजऱ तैनात
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि इस स्कीम के अंतर्गत हरेक बच्चे के लिए एक बार इस्तेमाल कीए जाने वाली सीरिंजें (आटो डिसएबल सरिंजों) का ही इस्तेमाल होगा। इस स्कीम के अंतर्गत टीकाकरण के लिए स्वास्थ्य कर्मियों की टीमें पूरी तरह प्रशिक्षित हैं, जो आम टीकाकरण प्रोगराम का तजुर्बा रखते हैं।
पूरे राज्य के बच्चों को इस स्कीम के घेरे में लाने को सुनिश्चित करने की रूपरेखा के बारे में बाताते हुए श्री मोहिंद्रा ने बताया कि इस मुहिम में लगभग 5200 टीकाकरन टीमें और 1733 सुपरवाईजऱों की तरफ से 29000 स्कूलों में लगभग 59000 टीकाकरन सैशन लगाए जाएंगे। उन्होंने बताया कि अब तक 28500 स्कूलों के अध्यापकों को इस मुहिम संबंधी विशेष प्रशिक्षण दिया गया है।
मीज़ल्ज़ ($खसरा) और रुबेला बारे जानकारी देते हुए मोहिंद्रा ने बताया कि खसरा घातक और छूत का रोग है और इससे पूरे देश में सालाना 49000 बच्चों की मौत होती है। यह भारत में बच्चों की मौत का बड़ा कारण बना है। उन्होंने कहा कि खसरे से बचाव के लिए बच्चों को विशेष टीकाकरन की दो खुराके देनी पड़तीं हैं। उन्होंने बताया कि रुबेला भी एक तरह का छूत का रोग है जो बच्चों और बालिग़ों में मौत का कारण बनता है और यदि गर्भवती महिला इस विषाणू की लपेट में आ जाये तो नवजात बच्चे में कई तरह की अपंगता होने का ख़तरा बना रहता है। उन्होंने आगे कहा कि रुबेला गर्भपात, जन्म के समय मौत और गंभीर जन्मजात बीमारियोँ सहित छोटे बच्चों में बहरेपन और नेत्रहीणता का कारण बनता है।
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि इस मुहिम का मुख्य उद्देश्य राज्य के सभी बच्चों में रोगों से लडऩे की ताकत बढ़ाना है जिससे इस मुहिम द्वारा खसरे, अपंगता और जन्मजात बीमारियों के मामले को ख़त्म किया जा सके। उन्होंने कहा कि पोलियो की बीमारी से मुक्ति की तरह अब 2020 तक राज्य और देश को खसरे और रुबेला से मुक्त करने का लक्ष्य निश्चित किया गया है।
-टीकाकरण में हर एक बच्चे के लिए एक बार प्रयोग वाली सिरिंजें ही होंगी इस्तेमाल
श्री मोहिंद्रा ने कहा कि इस मुहिम को दो रणनीतियों (पहली स्कूल आधारत और दूसरी घर घर जा कर) के अंतर्गत लागू किया जायेगा। उन्होंने बताया कि स्कूल आधारित रणनीति के अधीन सरकारी, सरकार से मान्यता प्राप्त, प्राईवेट, आर्मी, डे केयर सैंटर और करैच्चों में बच्चों का टीकाकरन किया जायेगा। इसी तरह घर घर जाकर रणनीति के अंतर्गत अनाथ आश्रमों, नेत्रहीन बच्चों के स्कूलों, विशेष ज़रूरतों वाले बच्चों के स्कूलों, सुधार घरों और जेलों और टप्परीवासों में जाकर टीकाकरन किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि एमआर टीकाकरन पूरी तरह सुरक्षित है। विश्वभर में रोज़मर्रा के टीकाकरन प्रोग्राम के अधीन चलाया जा रहा है और साथ ही इसको एमआर टीकाकरन मुहिम के अधीन भी लिया जा रहा है। यहाँ यह भी बताना ज़रूरी है कि यह मुहिम विश्व स्वास्थ्य संस्था की तरफ से प्रमाणित की गई है और इसमें इस्तेमाल की जाने वाली सभी दवायेें ‘‘सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया’’ में सख्त और उच्च निगरानी अधीन तैयार की जातीं हैं, जिसको पूरे विश्व सहित अमरीका और यूरोपीय देशों को भी भेजा जाता है।