घुटनों, कूल्हों के जोड़ों को बदलने में नई क्रांति लाई फीफो तकनीक

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: गुरजीत सोनू। घुटने और कूल्हों को बदलने की सर्जरी में नए कॉन्सेप्ट्स को प्रस्तुत करते हुए पहली बार एक नई तकनीक फीफो (फास्ट इन फास्ट आउट) को प्रस्तुत किया गया है। यह नई तकनीक मिनिमल इनवेसिव सर्जरी के लाभों को एक साथ प्रस्तुत करते हुए मरीज आधारित उच्च प्रदर्शन करने वाले इम्प्लांट्स को अत्याधिक लचकता के साथ प्रदान करती है। इसमें संशोधित दर्द नियंत्रण कॉन्सेप्टस और न्यूनमत ब्लीडिंग होती है और ये हमारी गैरियाट्रिक आबादी के लिए भी उपयुक्त है। इस क्रांतिकारी तकनीक के साथ, रोगी सर्जरी के 3-घंटे बाद चल सकते हैं और अब ये अब लगभग दर्द रहित हो गया है।

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जोड़ों को बदलने के इस मॉडिफाई कॉन्सेप्ट, जिसे देश में डॉ.मनुज वाधवा, चेयरमैन एंड एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, आईवी एलीट इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्थोपेडिक्स एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट, आईवी हॉस्पिटल ने लॉन्च किया है, में एडवांस्ड मसल स्पेयरिंग सर्जीकल सर्जिकल एक्सपोजर के मिश्रण से न्यूनतम रक्त क्षति होती हैं। वहीं नई तकनीकों के विशेष मिक्स जैसे डिजिटल सर्जरी और बेहतर मरीज केन्द्रित इम्प्लांट्स से भी बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं।

टोटल नी रिप्लसमेंट (टीकेआर) सर्जरी को संरक्षित करने वाला टिश्यूज पारंपरिक टीकेआर सर्जरीज से सामान्य तौर पर कहीं बेहतर है और इसमें काफी छोटे कट लगते हैं और विशेष उपकरणों की मदद से घुटनों को आगे से आपरेट किया जाता है। इस नई प्रक्रिया में सॉफ्ट टिश्यूज, मांसपेशियों और टेंडंस को न्यूनतम क्षति होती है।

डॉ. मनुज वाधवा द्वारा परिपूर्ण की गई विशेष तकनीक में विशेष उपकरणों के साथ मानक एवं आसान ट्रांसप्लांट के साथ बहुत अधिक मोटापे वाले सभी मरीजों में संतोषजनक सर्जिकल एक्सपोजर का लाभ प्रदान करती है। मरीज एक दर्द रहित और कार्यात्मक तौरपर स्थिर घुटनों को अपनी पहली प्राथमिकता के रूप में देखते हैं, लेकिन इस कड़ी में अगला कदम डीप नी फ्लेक्सन प्रमुख है।
डॉ.वाधवा ने बताया कि हमने घुटनों के बदलने की सर्जरी के लिए रक्त संक्रमण के उपयोग को लगभग रोक दिया है, यहां तक कि उन मरीजों में भी जिनके एक ही सिटिंग में दोनों घुटनों को बदलने की सर्जरी होनी है।

बेहतर दर्द नियंत्रण कॉन्सेप्ट्स की नई तकनीक के बारे में बात करते हुए डॉ.मनुज ने कहा कि अब वैश्विक स्तर पर सर्वोत्तम केंद्रों में प्राथमिक कॉन्सेप्ट ये है कि टिश्यू ट्रॉमा सर्जरी को न्यूनतम किया जाए और अलग अलग दवाओं के कॉकटेल का उपयोग करते हुए दर्द को नियंत्रित करना है, जिसको घुटनों में सॉफ्ट टिश्यूज के आसपास इंजेक्ट किया जाएगा। इससे मरीज सर्जरी के दौरान और सर्जरी के बाद भी अधिक आराम में रहेगा। इनमें से अधिकतर रोगी शल्य चिकित्सा के कुछ घंटों बाद भी अपने पैरों पर खड़े होने में सक्षम हैं। 

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