कीटनाशकों के प्रयोग से प्रभावित हो रहा बासमती का निर्यात: पन्नू

चंडीगढ़,(द स्टैलर न्यूज़)। मिशन तंदुरुस्त पंजाब के मैनेजिंग डॅायरैक्टर काहन सिंह पन्नू ने बताया कि मिलावटखोरों के खि़लाफ़ कार्यवाही के लिए जाने जाते इस मिशन के अंतर्गत बासमती में कीटनाशकों के अधिक प्रयोग के विरुद्ध भी जागरूकता मुहिम चलाई जा रही है।

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पन्नू ने कहा कि विश्व को बासमती के निर्यात में पंजाब अग्रणी राज्य है परन्तु कीटनाशकों का अधिक प्रयोग होने के कारण यूरोपीय यूनियन, अमरीका और विश्व के अन्य बाज़ारों मेंं मांग में गिरावट दर्ज हुई है। पिछले तीन सालों में 400 निर्यात ऑर्डर रद्द हो गए हैं, क्योंकि भारतीय कौंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकनॉमिक रिलेशंस (आई.सी.आर.आई.ई.आर) के मुताबिक इसमें कीटनाशकों का स्तर तय सीमा से काफ़ी ज़्यादा है।

पंजाब राईस मिल्लर्ज़ एक्सपोर्ट एसोसिएशन ने हाल ही में राज्य सरकार को बताया कि कीटनाशकों के उच्च स्तर के कारण यूरोपीयन यूनियन और अमेरीका से बासमती के ऑर्डर बड़े स्तर पर रद्द हुए हैं। उन्होंने बताया कि एसफेट, कैबैंडाजि़म, थियामैटोसैम, ट्रिकलाज़ोल और ट्रिज़ाफोस जैसे पांच कीटनाशकों के कारण समस्या आ रही है। यह कीटनाशक ‘केंद्रीय इंसैक्टीसाईड्ज़ बोर्ड और रजिस्ट्रेशन कमेटी’ के पास रजिस्टर्ड होने के कारण केंद्र सरकार इंसैक्टीसाईड एक्ट, 1968 के अनुसार इन पांच कीटनाशकों की बिक्री प्रयोग पर रोक नहीं लगा सकती।

पन्नू ने बताया कि इस कारण ‘कीटनाशक मुक्त बासमती’ की मुहिम चलाई जा रही है, जिसके अंतर्गत इन पांच कीटनाशकों के पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी द्वारा सुझाए विकल्पों का प्रचार किया जा रहा है।

-एक महीने में 250 से अधिक जागरूकता कैंप /सैमीनार करवाए आयोजित

उन्होंने समझाया कि 50 हज़ार करोड़ रुपए के चावल निर्यात कारोबार पर पडऩे वाले बुरे प्रभावों की क्षतिपूर्ति किसानों को ही भुगतनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य वाली फसलों के घेरे में न आने के कारण बासमती की खऱीद सरकारी एजेंसियों की जगह व्यापारियों पर ही निर्भर है। देश में पैदा होने वाली बासमती में से 90 प्रतिशत निर्यात की जाती है और यदि निर्यात को नुक्सान होता है तो राज्य के किसानों को सीधे तौर पर नुक्सान पहुँचेगा।

इसलिए मिशन तंदुरुस्त पंजाब के अंतर्गत राज्य के किसानों को इस मसले पर जागरूक करने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है और किसानों को कीटनाशक मुक्त बासमती के प्रति जागरूक करने के लिए व्यापक स्तर पर मुहिम चलाई जा रही है। इस मुहिम के अंतर्गत की जाने वाली कार्रवाईयों संबंधी जानकारी देते हुए पन्नू ने कहा कि कृषि विभाग की एक्सटेन्शन टीमें पंजाब राईस मिल्लर्ज़ एक्सपोटर्ज़ एसोसिएशन के साथ मिलकर सैमीनार/जागरूकता कैंप लगा रही हैं। 15 जुलाई 2018 तक 250 से अधिक कैंप लगाऐ जा चुके हैं। जिले और ब्लॉक स्तर पर कीटनाशक डीलरों की बैठकें करवाई जा रही हैं।

जिससे उनको कीटनाशकों के अवशेष की समस्या संबंधी जागरूक करके इस मुहिम में शामिल होने के लिए कहा जाए। उनको यह कीटनाशक न बेचने के लिए समझाया जा रहा है और यह जरूरी किया गया है कि वह बिल पर उस फ़सल का नाम लिखेें, जिसके लिए कीटनाशक बेचा गया है। इसी तरह किसानों को इन पांच कीटनाशकों के बुरे प्रभावों और इनके विकल्पों संबंधी बताने के लिए सभी ब्लाकों /गांवों में तय प्रोग्राम के मुताबिक किसान जागरूकता कैंप लगाए जा रहे हैं।

जागरूकता पैदा करने के लिए पोस्टर, बैनर्ज़ और वॉट्सएप संदेशों के अलावा गुरुद्वारों से मुनादी करवाई जा रही है। मिशन डायरैक्टर ने बताया कि जागरूकता मुहिम के साथ साथ किसानों द्वारा खऱीदे गए कीटनाशकों के बिल जांचने की कार्रवाई भी शुरू की गई है जिससे बढिय़ा गुणवत्ता वाले कीटनाशक ही किसानों तक पहुंचाने को यकीनी बनाया जा सके।

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