जिला भाजपा होशियारपुर: विजारत सजी नहीं कि फजीहत हो गई शुरु

जिला भाजपा होशियारपुर की बात करें तो वैसे तो इसका विवादों से नाता काफी पुराना है, मगर इन दिनों एक नई ही तरह के सवालों के घेरे में जिला भाजपा चौप-चौपालों एवं राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है या फिर यह कहना भी गलत नहीं होगा कि विजारत सजी नहीं कि फजीहत होनी शुरु हो गई।

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जी हां! यह वाक्य इन दिनों जिला भाजपा होशियारपुर पर पूरी तरह से चरितार्थ होती प्रतीत हो रही हैं। क्योंकि आजकल जिला परिषद एवं ब्लाक समिति के चुनावों के कारण राजनीतिक गलियारों में पूरी हलचल है और ऐसे में कोई भी पार्टी मैदान में जीत-हार तक डटे रहने का दम दिखाने का प्रयास करती है। भाजपा के लिए शायद यह पहला मौका होगा जब विधानसभा हल्का होशियारपुर में जिला परिषद की एकमात्र सीट पर भाजपा प्रत्याशी नदारद है और बिना लड़े ही सीट कांग्रेस की झोली में जाती हुई साफ तौर पर दिख रही है। प्रत्याशी न होने को लेकर भले ही भाजपा नेता कोई भी तर्क दे रहे हों, मगर राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार इतना गर्म है कि हर गुट चुटकी लेने से पीछे नहीं रह रहा। सूत्रों के अनुसार अब जिस गुट का भाजपा पर कब्जा कहा जा सकता है उस गुट से जुड़े भी कई नेता दबी जुबान में प्रत्याशी न होने की बात कहकर कहीं न कहीं भाजपा की हार की तरफ इशारा कर चुके हैं। इतना ही नहीं यह भी चर्चा है कि वर्तमान काबिज गुट समय पर यह तय ही नहीं कर पाया कि किस उम्मीदवार को कहां से चुनाव मैदान में उतारना है और कितने जोश के साथ चुनाव प्रचार करना है। भले ही राजनीति के परोद्धा कहे जाने वाले नेता जी के आशीर्वाद से ही यह गुट आगे बढऩे का प्रयास कर रहा है।

बात जिला परिषद चुनाव में प्रत्याशी उतारने की हो रही है तो सूत्रों के अनुसार किसी भी विधानसभा एवं लोकसभा चुनावों के मद्देनजर यह चुनाव काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं जो जमीनी स्तर पर वहां के नेता की लोकप्रियता और हल्के में पकड़ की तरफ इशारा करते हैं। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि इन चुनावों में सत्तारुढ़ पार्टी हावी मानी जाती है तथा अपने असर-रसूख से अधिकारियों पर काफी दवाब भी बना जाती है। मगर राजनीति का हर पैंतरां जानने वाले नेता की सरपरस्ती में प्रत्याशी मैदान में न हो यह बात समझ से परे है। सूत्रों की माने तो भाजपा ने प्रत्याशी तैयार किए थे, मगर एक-एक करके सभी पैर पीछे खींच गए। अगर एक तैयार हुआ भी तो उसके बारे में चर्चा यह उड़ी कि वह अदालत द्वारा भगौड़ा करार दिया गया है तो ऐसे में वह चुनाव कैसे लड़ सकता है। इतना ही नहीं इसके अलावा भाजपा की फजीहत करवाने के लिए एक और चर्चा काफी गर्म है कि जब जिला भाजपा अध्यक्ष हैं तो फिर प्रत्याशी द्वारा जो कागजात फाइल किए गए उनमें पूर्व कैबिनेट मंत्री तीक्ष्ण सूद के हस्ताक्षर क्यों?

इस संबंध में बात करने पर हालांकि जिला प्रधन विजय पठानिया का कहना है कि वह यहां नहीं थे तथा चंडीगढ़ में आयोजित हुई बैठक में तीक्ष्ण सूद को हस्ताक्षर करने हेतु पार्टी द्वारा अधिकृत किया गया था।

प्रत्याशी मैदान में क्यों नहीं है संबंधी पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भाजपा ने 3 उम्ीमदवार खड़े किए थे, जिनमें से 2 के कागजात वापस लेने थे और एक ने ही नामांकन करना था। उन्होंने कहा कि सत्तारुढ़ पार्टी ने धक्का करते हुए उसके कागजात रिजैक्ट करवा दिए कि वह अदालत का भगौड़ा है, जबकि ऐसी कोई बात नहीं है। श्री पठानिया का कहना है कि वह इसके खिलाफ अदालत में जाएंगे।

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