बैठक की कार्यवाही प्रभावित करने वाले भाजपा पार्षदों पर म्युनिसिपल एक्ट के तहत कार्यवाही करें निगम अधिकारी: एडवोकेट मरवाहा

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष एडवोकेट राकेश मरवाहा की अगुवाई में कांग्रेसी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं की एक बैठक आयोजित की गई। इस मौके पर जिला कांग्रेस कमेटी के महसिाचव एडवोकेट लवकेश ओहरी, लीगल सैल के कनवीनर एडवोकेट अजय वालिया, लीगल सैल के महासचिव एडवोकेट हरजीत कुमार एवं लीगल सैल के सचिव एडवोकेट अंकित गुप्ता व अन्य मौजूद थे।

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बैठक को संबोधित करते हुए एडवोकेट मरवाहा ने कहा कि पिछले दिनों भाजपा पार्षदों द्वारा नगर निगम की बैठक में अनुशासनहीनता का जो ड्रामा रचा गया तथा इस ड्रामे से तनाव एवं टकराव का जो माहौल व्याप्त हुआ उसके लिए उनकी जिनती निंदा की जाए कम है। उन्होंने कहा कि भाजपा के कुछेक पार्षदों का रवैया सदैव ही आक्रोश से भरा रहता है तथा उनकी मंशा माहौल को खराब करने की होती है। लोगों के चुने हुए इन प्रतिनिधियों का फर्ज बनता है कि वे जनता की समस्याओं को दूर करने का कार्य करें न कि विकास के कार्यों में गतिरोध बनें। अगर किसी पार्षद को अवैध कब्जे संबंधी कोई परेशानी थी तो वह अधिकारियों से बात करता तथा निगम उसे नोटिस देकर कब्जा हटाती और अगर फिर भी कार्रवाई न होती तो कानून का सहारा लेते हुए न्यायपालिका का दरवाजा खटखटा सकता था।

परन्तु शहर के विकास को लेकर आयोजित महत्वपूर्ण बैठक में खलल डालकर इन्होंने अपने गैरजिम्मेदाराना रवैये का परिचय दिया है। एडवोकेट मरवाहा ने कहा कि पार्षद को नारेबाजी करने से पहले सोच लेना चाहिए था कि बैठक के एजेंडे में कब्जे संबंधी कोई व्याख्यान नहीं था। विकास कार्यों में खलल डालकर उन्होंने शहर निवासियों के साथ धोखा किया है तथा निगम अधिकारियों को चाहिए कि वे बैठक में खलल डालने वाले पार्षदों पर म्युनिसिपल एक्ट के तहत कार्यवाही करें। उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं द्वारा दिए गए बयान कि नगर निगम का पैसा विकास पर खर्च नहीं करना हास्यपद है, क्योंकि नगर निगम में पड़ा पैसा जनता का ही है तथा वह जनता की भलाई के लिए किए जाने वाले विकास कार्यों पर खर्च करना होता है। अगर ऐस नहीं है तो फिर यह नेता बताएं कि यह पैसा किस उद्देश्य के लिए होता है? एडवोकेट मरवाहा ने कहा कि शहर के विकास में बाधा पहुंचाने के लिए एक सोची समझी साजिश के तहत भाजपा-अकाली पार्षदों एवं नेताओं द्वारा यह सारा ड्रामा रचा गया और इसके चलते शहर निवासी विकास कार्यों से दूर हो गए।

उन्होंने नगर निगम अधिकारियों से एक बार फिर मांग की कि बैठक की कार्यवाही को प्रभावित करने के लिए जिम्मेदार पार्षदों के खिलाफ म्युनिसिपल एक्ट के तहत कार्यवाही को अमल में लाया जाए और उन्हें अनुशासन का पाठ भी पढ़ाया जाए ताकि शहर के विकास कार्य में किसी भी तरह की बाधा या गतिरोध पैदा न हो।

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