पंजाब में मिला उत्तर प्रदेश और बिहार का पी.डी.एस चावल: आशु

चंडीगढ़,(द स्टैलर न्यूज़)। एक बड़ी ज़ब्ती के अंतर्गत खाद्य एवं सिविल सप्लाई विभाग द्वारा जालंधर और कपूरथला की 4 मीलों से रिकार्ड रहित चावलों की 36 हजार बोरियाँ ज़ब्त की गई। विभाग के विजीलैंस स्टाफ ने ऐसे रिकार्ड रहित चावलों की 16,500 बोरियाँ शिवा राईस मिल फगवाड़ा से, 3600 बोरियाँ जय शंकर राईस मिल जालंधर से, 14,100 बोरियाँ शिव शंकर राईस मिल सरहाली, जालंधर से और 1600 बोरियाँ स्वतंत्र राईस मिल ढिल्लवां, कपूरथला से बरामद कीं।

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मामले का पर्दाफाश करते हुए खाद्य एवं सिविल सप्लाई मंत्री, पंजाब भारत भूषण आशु ने बताया कि खाद्य एवं सिविल स्पलाई विभाग की तरफ से बुद्धवार को छापेमारी की गई थी, जिस दौरान यह तथ्य सामने आए हैं कि उक्त 4 मीलों से बरामद हुए चावलों की रिकार्ड रहित बोरियों के तार उत्तर प्रदेश और बिहार के सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पी.डी.एस) से जुड़े हुए थे।

एक अन्य हैरानीजनक तथ्य यह भी सामने आया है कि यूपी, बिहार के खाद्य एवं सिविल स्पलाई विभाग की कुछ बोरियाँ भी मिलीं हैं, जोकि पंजाब के मार्का नंबर 2017-18 के अंतर्गत एफ.सी.आई को सैंट्रल पूल के लिए बाँटी गई थीं परन्तु यूपी, बिहार भेजे जाने के बाद वह ग़ैर -कानूनी ढंग से घूमकर पंजाब पहुँचा दी गईं।

-4 मीलों में 36000 बोरियों का रखा गया था भंडार

मंत्री ने बताया कि यदि यह ऐसा गोरखधंधा करने वाले मिल मालिक पकड़े न जाते तो चावलों की इन बोरियों ने लौटकर बाज़ार में बिक्री के लिए पहुँच जाना था। पंजाब सरकार द्वारा गोदामों और मीलों पर रखी जा रही तीखी नजऱ के चलते ऐसे बुरे काम करने वालों ने बहुत चालाकी के साथ अपने काम करने की विधि बदल ली है। अब गोदामों में स्टॉक रखने की जगह वह ग़ैर -कानूनी तरीकों से खऱीदे इन चावलों को गाँवों में स्थित पशुओं की कच्ची शैडों में रखने लगे हैं।

ऐसा ही एक मामला फगवाड़ा के गाँव रानीपुर में सामने आया है जहाँ चावलों की 750 बोरियाँ पशुओं की शैड में से बरामद हुई हैं। सूत्रों के मुताबिक दो दिन पहले चावलों की ये बोरियाँ दो ट्रकों में से उतारीं गई थीं। इस ज़ब्ती को एक बड़े गोरखधंधे की केवल छोटी सी कड़ी बताते हुए आशु ने कहा कि पी.डी.एस की बोरियों के इन भंडारों के मिलने से यह बात साफ़ हो जाती है कि यह कोई छोटा खेल नहीं है क्योंकि ऐसा एक मामला पड़ोसी राज्य हरियाणा में भी सामने आया है। इसलिए इससे यह अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि यह एक बड़ा अंतरराज्यीय गोरखधंधा है जो पूरे देश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की सांठ-गांठ से चलाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि चाहे विभाग के विजीलैंस अफसरों द्वारा गरीबों के चावलों को पंजाब के बाज़ार में आने से रोक लिया गया है परन्तु अभी भी ऐसी घिनौनी कोशिशों पर पैनी नजऱ रखने की ज़रूरत है। गरीबों के लिए आए इस चावल का इस तरह फिर बाज़ार में बिक्री के लिए पहुँचना न सिफऱ् मानवता के साथ मज़ाक है, बल्कि राज्य के लिए आर्थिक घाटे का विषय भी है। यहाँ यह बताना आवश्यक है कि पिछले हफ्ते फिऱोज़पुर, ज़ीरा, जलालाबाद और मोगा की मीलों में मारे गए छापेमारी के दौरान चावलों की करीब 1.10 लाख रिकार्ड रहित बोरियाँ बरामद की गई थीं।

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