कमल के फूल की भांति मायावी संसार में रहते हुए भी ईश्वर से नाता रखें बरकरार: साध्वी धर्मा भारती

होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: डा. ममता। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान गौतम नगर आश्रम में धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें प्रवचन करते हुए श्री आशुतोष महाराज जी कि शिष्या साध्वी धर्मा भारती जी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि आज का मानव माया मे जकड़ा होने के कारण अपने लक्ष्य से भटक गया है। संत कहते है कि माया तो नागिन की भांति होती है। जैसे नागिन अपने बच्चों को ही खा जाती है। ऐसे ही माया जिसका मानव निरंतर चिंतन करता रहता है माया उसी को ही खा जाती है।

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प्रश्न यह है कि हम इस माया से कैसे बच सकते है रहना तो इसी माया के बीच में है। संत इसका उतर देते हैं कि मानव यदि इस माया से बचना चाहते हो तो ऐसे रहो जैसे कमल का फू ल कीचड़ में रहता है। वह अपना पोषण तो कीचड़ में ही करता है परन्तु नाता सूरज के साथ जोडक़र रखता है। ऐसे ही मानव इस माया के कीचड़ में भले ही रहे पर मानव का मन माया मे लिप्त न हो पाए इसलिए खुद को ईश्वर के साथ जोड़ लेना चाहिए।

उन्होंने बताया कि जब जीवन में कोई पूर्ण सदगुरू का आगमन होगा तभी हम ईश्वर से जुड़ सकते है सदगुरू ही हमारे घट में ईश्वर के निराकार रूप को प्रकट करते है तो हम ईश्वर का र्दशन करते हुए मायावी संसार में रहकर भी माया से अलग रह सकते है संतो की तरह यही जीवन का लक्ष्य है।

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