प्रभु की शाश्वत भक्ति से जुडऩा ही मोक्ष प्राप्ति का साधन: राजविंदर भारती

हरियाना (द स्टैलर न्यूज़), रिपोट: प्रीति पराशर। दिव्य ज्योति जाग्रति स्ंास्थान द्वारा एक दिवसीय सत्संग प्रवचन का आयोजन श्री सनातन धर्म सभा पहाड़ी गेट हरियाना में किया गया। संस्थान के संस्थापक एवं संचालक श्री गुरु आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री राजविंदर भारती जी ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज के समय में कोई भी मनुष्य दुख नही पाना चाहता है। हर एक प्राणी सुखों को ही प्राप्त करना चाहता है।

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यदि उसे दुख को सहन करना पड़ता है तो उसे पीड़ा होती है परंतु सुख की प्राप्ति भी यदि मानव कर लेता है तो उसे फिर भी कभी सुख का आभास नही कर पाता है क्योंकि सुख की अपनी एक वेदना होती है। यदि हम अपने जीवन की बात करे तो जिस समय हमारे जीवन में दुख आता है तो प्रभु को याद करते है। प्रभु की भक्ति से जुडऩे का प्रयास करते है। जिसकी उदाहरण हमें हमारे इतिहास में भी मिलती है।

जब महाभारत का युद्व समाप्त होता है और प्रभु कृष्ण वापिस लौटने की तैयारी करते है तो उस समय माता कुंति जी विलाप करने लगती है तो प्रभु कृष्ण उन्हें कहते है कि आप को क्या चाहिए। तब माता कुंति उन्हें कहती है कि प्रभु सारे संसार के दुख आप मेरी झोली में डाल दो। जब मैं दुखी थी तो प्रभु आप मेरे पास थे और जब हमें संसारिक सुख प्राप्त हो रहे है तो आप हमें छोडक़र जा रहे है। इसका भाव यही हुआ कि आप दुख में हमारे पास होते हो और हम भी आपको याद करते है।

साध्वी जी ने अपने विचारों में आगे बताया कि जिस सुख को प्राप्त करने का यत्न आज हम कर रहे है वह असल में सुख है ही नही। सुख तो केवल ईश्वर की भक्ति में ही प्राप्त हो सकता है और हम केवल संसारिक सुखों को प्राप्त करने में ही लगे हुए है इसीलिए हमें प्रभु की शाश्वत भक्ति से जुडऩा ही होगा और केवल मात्र समय के एक पुर्ण सद़़ृगुरु की शरण प्राप्त करके ही संभव हो सकता है। साध्वी शिप्रा भारती जी ने सुमधुर भजनों का गायन कर संगत को निहाल किया। सत्संग का समापन प्रभु की पावन आरती से हुआ।

इस अवसर पर विशेष रुप में राकेश दत्ता, सुदेश दत्ता, जितेंद्र शर्मा, चंद्र शेखर गर्ग, प्रदीप कुमार, चमन लाल, नीलम जरियाल, निर्मला और हरियाना सेवा समिति के सदस्य और राजपूत करनी के सदस्य भी मौजूद थे।

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