हाकी खिलाडिय़ों को है मदद की दरकार, फटे जूते पहनकर खेलने को मजबूर

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। हाकी को भले ही राष्ट्रीय खेल कहा जाता हो, मगर दुख की बात है कि हाकी को प्रोत्साहित करने के लिए उस स्तर के प्रयास नहीं हो रहे, जैसा कि क्रिकेट को प्रमोट करने के लिए किए जा रहे हैं। एक समय था जब हाकी के क्षेत्र में होशियारपुर का नाम हुआ करता था तथा धीरे-धीरे सरकार व खेल प्रेमियों की उदासीनता के चलते हाकी गुम सी होने लगी। होशियारपुर में हाकी को पुन: सजीव करने के लिए अंतरराष्ट्रीय गोल्ड मैडलिस्ट हाकी खिलाड़ी रणजीत सिंह राणा ने महाराणा प्रताप हाकी अकादमी की स्थापना की। मगर आर्थिक रुप से पूरी तरह से सक्षम न होने के कारण अकादमी को चलना उनके लिए मुश्किल बना हुआ है। हालांकि हाकी के प्रति बच्चों और युवाओं का उत्साह को देखते हुए अकादमी की तरफ से किए जा रहे प्रयास उन्हें हाकी के साथ जोड़ में सराहनीय योगदान डाल रहा है। परन्तु हाकी के साथ जुड़े अधिकतर बच्चे आर्थिक रुप से कमजोर घरों से होने के कारण वह हाकी खेलने से संबंधित सामान को लेने में असमर्थ हैं। हाल ही में मैंने जब रेलवे मंडी हाकी खेल मैदान का दौरा किया तो वहां पर हाकी खेलते हुए बच्चों को देखकर काफी अच्छा लगा। मगर दुख तब हुआ जब ध्यान उनके जूतों पर पड़ा। एक तरफ जहां बच्चे अपने खेल कौशल से वहां मौजूद लोगों की वाहवाही लूट रहे थे तो दूसरी तरफ जरुरी सामान की कमी उनके प्रदर्शन में आड़े आ रही थी

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अगर आप दान पुण्य करके अपने कर्म और भविष्य को संवारने की सोच रखते हैं तो मेरा मानना है कि उन खिलाडिय़ों का हौंसला भी जरुर बढ़ाना चाहिए जो आर्थिक तौर से कमजोर होने के कारण अपने खेल कौशल का प्रदर्शन करने में असमर्थ हो जाते हैं। इसलिए होशियारपुर में महाराणा प्रताप हाकी अकादमी के कई जरुरतमंद और प्रतिभावान खिलाडिय़ों को आपकी मदद की दरकार है। इन बच्चों की मदद करके पुण्य के भागी बनें। सहायता के लिए संपर्क करें: निवेदनकर्ता-रणजीत सिंह राणा-90233-33310.

इस संबंधी रणजीत सिंह राणा से बात करने पर उन्होंने बताया कि हाकी को प्रोत्साहित करने के लिए अकादमी द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं तथा समय-समय पर बच्चों को जरुरत का सामान दिया जाता है, मगर बजट आधिक होने के कारण सभी बच्चों को खेल से जुड़ा सामान दे पाने में वह सक्षम नहीं हैं। इसके लिए वह दानी सज्जनों और खेल प्रेमियों से मिलते हैं। परन्तु, दुख की बात है कि जिस प्रकार क्रिकेट को प्रोत्साहित करने के लिए लोग आगे आते हैं उसके 10 प्रतिशत लोग भी हाकी खिलाडिय़ों की मदद के लिए आगे आने को तैयार नहीं। राणा ने सामर्थ लोगों और खेल प्रेमियों से अपील की कि वह हाकी खिलाडिय़ों की मदद को आगे आएं ताकि सामान की कमी से जूझ रहे खिलाड़ी अपने खेल कौशल के बढिय़ा प्रदर्शन से शहर व प्रदेश का ही नहीं बल्कि देश का नाम रोशन कर सकें।

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