होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: मुक्ता वालिया। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के गौतम नगर आश्रम में प्रवचन करते हुए आशुतोष महाराज जी कि शिष्या साध्वी सुश्री शिप्रा भारती जी ने कहा कि यह हमारा सौभाग्य रहा कि आदिकाल से इस भूमि ने संत, महापुरूषों, अवतारों का चरणस्पर्श किया। उन्होंने कहा कि सृष्टि के उदयकाल में ही चिंतकों ने जीवन सबंधी चिंतन की चरम ऊ चाइयों को छू लिया था।
जहां विश्व की अन्य सभ्यताओं ने प्रत्यक्ष दिखने वाली देह को ही सब की धारणा आज भी वैसी ही है। वहीं भारत के आदि चिंतक ों ने देह में मौजूद सूक्ष्मतम और दिव्यतम आत्मा को भी उद्घाटित करने की विधि का इनवेषण किया। साध्वी जी ने कहा कि भारत की भौगोलिक स्थिति ही कुछ ऐसी है कि आंरभिक काल से यहां का पर्यावरण पूर्णत: मनोवृतियों को आत्मोन्मुखी करने के लिए सहज रहा है। उन्होनें कहा कि जहां पाश्चात्य इतिहास कामुक दुव्र्यसनों की लंबी कहानी है, वही हमारी भारतीय संस्कृति चरित्र, ब्रह्यचर्य और संयम की पवित्र कहानी है। साध्वी जी ने कहा कि केवल हमारे इतिहास में ऐसे आलौकिक उदाहरण मिलते है, जहां शिवा जी छत्रसाल, दूर्गादास जैसे राजा जीते हुए शुत्र राजाओं की बेगमों को माता कहते है। ऐसे अभूतपूर्व आदर्श केवल हमारी संस्कृति की विरासत है। हमारा प्रमुख दायित्व है कि हम अपनी संस्कृति की गरिमा को बनाए रखें।