नशा मुक्ति केंद्र के मरीजों को आर्थिक तौर पर मजबूत बनाने के लिए किए जा रहे हैं विशेष प्रयास: जिलाधीश

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। प्रशासन की ओर से आपसी तालमेल से जिले को नशा मुक्त करने का प्रयास किया जा रहा है और इसको लेकर किसी भी तरह की कमी नहीं छोड़ी जा रही है। नशे के दलदल में जकड़े व्यक्तियों को इस दलदल से निकालने के लिए योग्य प्रयास किए जा रहे हैं, जिसमें ओ.ओ.ए.टी क्लीनिक, नशा छुड़ाओ केंद्र व पुर्नवास केंद्र महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। यह जानकारी देते हुए जिलाधीश ईशा कालिया ने देते हुए कहा कि जिले में अलग-अलग स्थानों पर खुले ओ.ओ.ए.टी. क्लीनिक, नशा छुड़ाओ एवं पुर्नवास केंद्र में मरीजों को भेजा जा रहा है ताकि वे नशा छोड़ आम जिंदगी व्यतीत कर सकें। उन्होंने बताया कि नशे के खिलाफ किए जा रहे प्रयासों के अंतर्गत जिला प्रशासन की ओर यह सप्ताह नशा विरोधी सप्ताह के तौर पर मनाया गया। जिलाधीश ने बताया कि सरकार की ओर से खोले गए नशा मुक्ति केंद्रों, ओ.ओ.ए.टी सैंटर व पुर्नवास केंद्रों ने युवाओं को नई जिंदगी दी है और आज अनेक युवा दृढ़ इच्छाशक्ति से नशे की गिरफ्त से बाहर आ चुके हैं।

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उन्होंने बताया कि नशा छुड़ाओ केंद्रों में मरीज को 15 से 20 दिन के लिए दाखिल भी किया जाता है, इसके बाद उसको पुर्नवास केंद्र भेज दिया जाता है, जहां उसके लिए धार्मिक, मनोरंजक और प्रेरणादायक माहौल बनाया जाता है। मरीज को यहां अलग-अलग गतिविधियां करवा कर खेल और योग की ओर भी ध्यान केंद्रित किया जाता है। इसके अलावा काउंसलरों की ओर से मरीज व परिवार के बीच पैदा हुई खींचतान को भी दूर किया जाता है। उन्होंने बताया कि मरीजों को आर्थिक तौर पर पैरों पर खड़ा करने के लिए भी विशेष यत्न किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि नशे का त्याग कर तंदुरुस्त हुए मरीजों को अपना कारोबार खोलने के लिए भी ऋण आदि की सुविधा मुहैया करवाने के लिए जिला प्रशासन की ओर से विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सरकार के इसी प्रयास ने होशियारपुर के 24 वर्षीय युवक हरविंदर सिंह (काल्पनिक नाम) को फिर से अपने पैरों पर खड़ा किया है।

हरविंदर हेयर ड्रेसर का काम करता था और इसमें महारत हासिल करने के लिए वह चंडीगढ़ में एक सैलून में हेयर स्ट्रेटनिंग का काम सीखने चला गया। यहां उसने पहली बार हैरोइन का नशा किया, उसके बाद तो वह इस नशे का आदि हो गया। उसने वापिस होशियारपुर आकर अपना काम शुरु तो किया लेकिन नशे की लत ने उसे छोड़ा नहीं और दिन-ब-दिन वह इसके दलदल में फंसता चला गया। नशे के चक्कर में हरविंदर ने अपनी दुकान तक बेच डाली यहां तक कि वह एक महीने में करीब 20 हजार रु पये का नशा करने लगा।

उसकी नशे की लत से परेशान घर वालों ने उसे नशा छुड़ाओ व पुर्नवास केंद्र दाखिल करवाया जहां इलाज करवाने के बाद हरविंदर नशा छोड़ चुका है और दोबारा अपना हेयर ड्रैसर का कार्य शुरु कर दिया है। अब वह महीने का 20 हजार रु पये कमा लेता है। नशा मुक्ति व पुर्नवास केंद्र के कांउसलरों की ओर से हरविंदर का दो वर्ष तक फालोअप किया गया। इस दौरान उसकी माता ने बताया कि वह बिल्कुल नशा छोड़ चुका है। उन्होंने नशा छुड़ाओ व पुर्नवास केंद्र का धन्यवाद किया और कहा कि उसके बेटे को नई जिंदगी मिली है। हरविंदर ने बताया कि उसने नशे के चक्कर में बहुत कुछ बर्बाद किया है लेकिन अब वह संभल गया है और नए सिरे से अपनी जिंदगी जी रहा है।

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